काश! अशोक परनामी अजमेर के दो मंत्रियों की दुश्मनी खत्म कर पाते।

विधानसभा वार बूथ स्तरीय सम्मेलन के क्या फायदे?
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राजस्थान प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष अशोक परनामी 15 अप्रैल से 3 दिवसीय अजमेर जिले के दौरे पर हैं। तीन दिनों में जिले की 8 विधानसभा क्षेत्रों में बूथस्तरीय कार्यकर्ताओं से परनामी सीधा संवाद करेंगे। एक राजनीतिक दल की यह कवायद अच्छी है। यदि प्रदेश अध्यक्ष सीधे बूथ लेवल के कार्यकर्ता से संवाद करेगा तो कार्यकर्ता के मनोबल में वृद्धि होगी, लेकिन भाजपा के लिए अजमेर कार्यकर्ता के बजाए बड़े नेता चुनौती बने हुए हैं। परनामी माने या नहीं, लेकिन संगठन पर क्षेत्रीय विधायक पूरी तरह हावी हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण अजमेर शहर में भाजपा की स्थिति है। अजमेर शहर भाजपा अब प्रदेश के उन मात्र चार शहरों में शामिल हैं, जहां अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो पाया है और न ही प्रदेश ने नए अध्यक्ष की नियुक्ति की है। इसलिए पुराने मनोनीत अध्यक्ष अरविंद यादव से ही काम चलाया जा रहा है। यादव की शराफत में कोई कमी नहीं है, लेकिन यादव भी इस हकीकत को जानते हैं कि अजमेर भाजपा उत्तर और दक्षिण में विभाजित है। उत्तर के तीनों मंडल अध्यक्षों का चुनाव क्षेत्रीय विधायक और स्कूली शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी के इशारे पर और दक्षिण के तीनों मंडल अध्यक्षों का निर्णय भी क्षेत्रीय विधायक व महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री अनिता भदेल के कहने पर हुआ है। अब बूथ स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन भी 17 अप्रैल को उत्तर और दक्षिण में अलग-अलग हो रहा है। 18 अप्रैल को सुबह 11 बजे नौ नम्बर पेट्रोल पम्प स्थित टोरेंटो समारोह स्थल पर तथा दक्षिण क्षेत्र में दोपहर 3 बजे जवाहर रंगमंच पर उत्तर क्षेत्र के कार्यकर्ताओं का सम्मेलन होगा। यानि टोरेंटो में अनिता भदेल और जवाहर रंगमंच में देवनानी का शक्ति परीक्षण होगा। भाजपा शासन के गत दो वर्षों में न तो देवनानी ने भदेल के निर्वाचन क्षेत्र में और न भदेल ने देवनानी के निर्वाचन क्षेत्र में अपने विभाग का कोई कार्यक्रम आयोजित किया। इतना ही नहीं दोनों मंत्री एक दूसरे के विभागों के कार्यक्रमों में भी नहीं जाते हैं। इन दोनों मंत्रियों की आपसी दुश्मनी का खामियाजा भाजपा के साधारण कार्यकर्ता को उठाना पड़ रहा है। यदि कोई कार्यकर्ता भदेल के साथ नजर आ जाए तो देवनानी नाराज और यदि कोई कार्यकर्ता देवनानी के साथ खड़ा हो तो भदेल के माथे पर सल पड़ जाते हैं। मुझे यह लिखने में कोई ऐतराज नहीं कि ये दोनों मंत्री अपने-अपने क्षेत्र की समस्याओं के प्रति जागरुक रहते हैं। जब कभी अजमेर में होते हैं तो दोनों अपने-अपने निवास पर जनता दरबार लगाकर समस्याओं का समाधान भी करते हैं। लेकिन यह समाधान भी उत्तर और दक्षिण में बंटा हुआ है। समझ में नहीं आता कि किन राजनीतिक मुद्दों पर देवनानी और भदेल में इतनी दुश्मनी है, जबकि भदेल का दक्षिण क्षेत्र उन्हीं की जाति के लिए आरक्षित है और देवनानी का उत्तर क्षेत्र राजनीतिक नजरिए से सिंधी समुदाय के लिए रखा गया है। यानि भदेल उत्तर में और देवनानी दक्षिण में जाकर चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के अजमेर आगमन पर कार्यकर्ताओं को यह उम्मीद थी कि दोनों मंत्रियों में कोई समझौता होगा। लेकिन जिस तरह से बूथ स्तरीय सम्मेलन अलग-अलग हो रहे हैं, उससे प्रतीत होता है कि परनामी के सामने भी देवनानी और भदेल का शक्ति परीक्षण ही होगा। अच्छा होता कि अजमेर शहर में संयुक्त रूप से बूथ स्तरीय सम्मेलन कर प्रदेश अध्यक्ष कार्यकर्ता की पीड़ा को समझने का प्रयास करते। अजमेर शहर में बूथ स्तरीय सम्मेलन तभी सफल माना जाएगा, जब परनामी दोनों मंत्रियों की राजनीतिक दुश्मनी को खत्म करवाएंगे। अन्यथा परनामी के 17 अप्रैल को अजमेर शहर की सीमा लगने के साथ ही फिर से विवाद की स्थित उत्पन्न हो जाएगी। परनामी ने 15 अप्रैल को किशनगढ़, केकड़ी और ब्यावर के विधानसभा क्षेत्र के बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद किया तो 16 अप्रैल को प्रात:11 बजे पुष्कर, 2 बजे नसीराबाद तथा सायं 5 बजे मसूदा में संवाद करेंगे। इसी प्रकार 17 अप्रैल को अजमेर शहर के दोनों विधानसभा क्षेत्रों में संवाद करने के साथ-साथ प्रात: 10 बजे अजमेर शहर और देहात भाजपा की कोर कमेटी की संयुक्त बैठक लेंगे।
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