वो ही अजमेर आते है,जिन्हें ख्वाजा बुलाते हैं। तो ख्वाजा साहब ने बुलाया है नरेन्द्र मोदी को।

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वो ही अजमेर आते है,जिन्हें ख्वाजा बुलाते हैं।
तो ख्वाजा साहब ने बुलाया है नरेन्द्र मोदी को।
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अजमेर स्थित विश्व प्रसिद्ध ख्वाजा साहब की दरगाह में मान्यता है कि वो ही अजमेर आते हैं, जिन्हें ख्वाजा बुलाते हैं। जब भी कोई मेहमान जियारत के लिए दरगाह में आता है तो खादिम समुदाय भी यही बात कहता है। किन्हीं कारणों से कोई व्यक्ति दरगाह नहीं आ पाता है तो यही माना जाता है कि अभी ख्वाजा साहब का बुलावा नहीं आया है। कुछ इसी धार्मिक मान्यता के बीच 31 मई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अजमेर आ रहे हैं। पीएम की यात्रा के मद्देनजर 26 मई को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी के नेतृत्व में चिकित्सा एवं स्वास्थ्यमंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़, परिवहन मंत्री यूनुस खान, शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी, महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री अनिता भदेल, राजस्थान धरोहर एवं संरक्षण प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकर सिंह लखावत, एडीए के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा, मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, देहात भाजपा के अध्यक्ष बी.पी.सारस्वत, शहर अध्यक्ष अरविंद यादव तथा जिला एवं पुलिस प्रशासन के बड़े अधिकारियों ने तैयारियों का जायजा लिया। मोदी सरकार के दो वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में प्रधानमंत्री देश के पांच प्रमुख स्थानों पर आम सभाएं कर रहे हैं। अजमेर का चयन बहुत ही सोच समझकर किया गया है। अजमेर में जहां सूफी संत ख्वाजा साहब की दरगाह है तो वहीं हिन्दुओं का तीर्थ गुरु पुष्कर भी हैं। ऐसे में धार्मिक दृष्टि से अजमेर का अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व है। प्रधानमंत्री मोदी की सभा भी उस कायड़ विश्राम स्थली पर की जा रही है, जहां ख्वाजा साहब के उर्स में आने वाले जायरीन ठहरते हैं। कहा जा रहा है कि अजमेर शहर में पटेल मैदान, आजाद पार्क जैसे सार्वजनिक स्थल प्रधानमंत्री की सभा के लिए छोटे हैं। ऐसी स्थिति में कायड़ विश्रामस्थली ही उपयुक्त रहेगी।
ख्वाजा साहब की दरगाह में पीएम के इस्तकबाल की भी शानदार तैयारियां की जाएंगी। दरगाह से जुड़ी सभी संस्थाओं से कहा गया है कि वे इस्तकाबल में कोई कसर न छोड़ें। पिछले दिनों दरगाह के खादिमों के एक प्रतिनिधि मंडल ने लोकसभा स्थित पीएम दफ्तर में नरेन्द्र मोदी से मुलाकात भी की थी। तब मोदी को दरगाह आने का दावतनामा भी दिया था। उस समय मोदी ने दरगाह के प्रतिनिधियों से अपने सिर पर गुलाबी पगड़ी भी बंधवाई और शॉल भी ग्रहण किया। यही वजह है कि 31 मई को मोदी जब दरगाह में जियारत करेंगे तो सूफी परंपरा के अनुरूप मोदी का इस्तकबाल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। इस समय दरगाह में तीन प्रमुख संस्थाएं हंै। केन्द्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन चलने वाली दरगाह कमेटी के पास दरगाह के अंदर के इंतजाम हैं। इस समय दरगाह कमेटी के नाजिम दौसा के कलेक्टर असफाक हुसैन हैं। दरगाह की धार्मिक रस्मों में खादिम समुदाय की भी मुख्य भूमिका रहती है। मोदी तो खादिम समुदाय के दावतनामे पर ही आ रहे हैं, ऐसे में खादिमों के प्रतिनिधि भी इस्तकबाल के लिए उत्साहित हैं। दरगाह में दीवान जैनुअल आबेदीन की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। अति विशिष्ट व्यक्तियों के आगमन पर दीवान भी इस्तकबाल करते हैं। आतंकवाद के मुद्दे पर दीवान आबेदीन कई बार नरेन्द्र मोदी का समर्थन कर चुके हैं। यानि ख्वाजा साहब की दरगाह में इस समय चारों तरफ मोदी के समर्थन वाला माहौल है और जब ख्वाजा साहब ने ही मोदी को बुलाया है तो फिर विवाद की कोई गुंजाइश भी नहीं है। भले ही दो वर्ष के मौके पर मोदी अजमेर में विशाल आमसभा करें,लेकिन मोदी का अजमेर दौरा ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत की वजह से ज्यादा चर्चित रहेगा।
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(एस.पी. मित्तल) (26-05-2016)
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