बेटियां ही कर रही हैं नाम रोशन। 12वीं कला की मेरिट में 20 में से 15 बेटियां। तो फिर कोख में क्यों मारी जा रही हैं बेटियां।

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28 मई को राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 12वीं कक्षा के कला वर्ग का परिणाम घोषित हो गया। बोर्ड में इस परीक्षा की जो मेरिट घोषित की है, उसमें 20 में से 15 लड़कियों ने कब्जा किया है। यानी लड़के 5 ही हैं। इतना ही नहीं लड़कियों के उत्तीर्णता का प्रतिशत 89.31 है, जबकि लड़कों का 84.20 प्रतिशत ही रहा। जो लोग बेटे की चाह में बेटियों को कोख में ही मार रहे हैं, उन्हें 12वीं कक्षा के इस परिणाम से सबक लेना चाहिए। हम सब जानते हैं कि घर परिवार में लड़कों के मुकाबले लड़कियों पर बंदिशें रहती हैं। इन बंदिशों के बाद भी यदि बेटियां अपने परिवार का नाम रोशन कर रही हैं तो फिर किस बात के लिए बेटे की चाह को प्राथमिकता दी जा रही है। सवाल सिर्फ पढ़ाई का ही नहीं है। माता-पिता का ख्याल रखने में भी बेटों के मुकाबले बेटियां आगे रहती हैं। बेटा तो अपनी पत्नी को लेकर अलग घर बसा लेता है, लेकिन बेटियां ससुराल जाने के बाद भी माता-पिता को लेकर चिन्तित रहती हैं। यह माना कि अंतिम संस्कार के वक्त बेटा ही कपाल क्रिया करता है लेकिन जीते जी तो माता-पिता की सेवा का काम बेटियां ही करती हैं। वर्तमान हालातों में माता-पिता बेटे की पढ़ाई को लेकर चिंतित रहते हैं। जबकि बेटी की परीक्षा के परिणाम के समय में माना जाता है कि बेटी तो पास हो ही जाएगी। जो लड़के कॉलर ऊंची कर मोटर साइकिल पर इतराते हैं, उन्हें 12वीं कला के परिणाम से थोड़ी शर्म महसूस करनी चाहिए। 20 की मेरिट में यदि 5 स्थान ही बेटों को मिले तो माता-पिता को भी यह समझना चाहिए कि बेटों के मुकाबले बेटियां ज्यादा अच्छी होती हैं। आज हालात इतने खराब हो गए हैं कि लड़कियों को उनके शैक्षिक स्तर के मुकाबले शादियों के लिए लड़के नहीं मिल रहे हैं। जिनके घरों में लड़के हैं उनके अभिभावकों को सबसे बड़ी यही चिन्ता है। लड़के 10वीं फेल, 12वीं फेल और बीए फेल वाले मिलते हैं जबकि लड़कियां एमए पास वाली होती हैं। एक समय था जब बेटियों के विवाह में परेशानी होती थी, लेकिन अब बेटों के विवाह में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
(एस.पी. मित्तल) (28-05-2016)
(www.spmittal.in) M-09829071511

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