तो ब्रह्मा मंदिर के अधिग्रहण का प्रस्ताव हो ही गया मंजूर। आखिर पुष्कर पालिका के अध्यक्ष कमल पाठक की ही चली।

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आखिर 6 जून को पुष्कर नगर पालिका की साधारण सभा में संसार प्रसिद्ध ब्रह्मा मंदिर के अधिग्रहण का प्रस्ताव मंजूर हो ही गया। प्रस्ताव को रोकने के लिए मंदिर के महंत सोमपुरी ने लाख कोशिश की। यहां तक कि पालिकाध्यक्ष पर भी गंभीर आरोप लगाए। कलेक्टर से लेकर प्रधानमंत्री तक से गुहार की गई, लेकिन अंत में कमल पाठक की मंशा के अनुरूप ही अधिग्रहण का प्रस्ताव मंजूर कर लिया गया। 6 जून को जैसे ही साधारण सभा शुरू हुई, वैसे ही अधिग्रहण के प्रस्ताव पर मत विभाजन हो गया। पालिका के 20 पार्षदों में से 18 ने प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि दो पार्षदों ने खुला विरोध किया।
अधिग्रहण प्रस्ताव का समर्थन करने वाले पार्षदों में पालिकाध्यक्ष कमल पाठक के साथ साथ मुकेश कुमावत, सुखराम मट्टू, मंजू बाकोलिया, सारिका वैष्णव, महेश पाराशर, मंजू डोलिया, बीना पाराशर, गजेन्द्र बाकोलिया, तुलसी वैष्ण व मीना राजगुरु, जयनारायण दग्दी, भीकम खत्री, शिवस्वरूप महर्षि, कमल रामावत, जीवण महावर और मदन सांखला हंै, जबकि कांग्रेस के पार्षद तेज प्रकाश चौधरी और भाजपा के असंतुष्ट पार्षद ओम प्रकाश पाराशर ने प्रस्ताव का विरोध किया। प्रस्ताव के मंजूर होने के बाद पालिका अध्यक्ष कमल पाठक ने कहा कि अब इस प्रस्ताव को जिला कलेक्टर के माध्यम से राज्य सरकार को भिजवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप ही ब्रह्मा मंदिर के अधिग्रहण की कार्यवाही की जाएगी। अधिग्रहण प्रस्ताव के संबंध में पालिका के अधिशाषी अधिकारी गजेन्द्र सिंह रलावता ने बताया कि साधारण सभा में जो भी कार्यवाही सम्पन्न हुई है, उसकी रिपोर्ट बनाकर राज्य सरकार को भेजी जाएगी। उन्होंने कहा कि बैठक शांतिपूर्ण सम्पन्न हुई है।
असंवैधानिक काम
वहीं ब्रह्मा मंदिर के महंत सोमपुरी ने कहा कि नगर पालिका में अपने अधिकारों से परे जाकर असंवैधानिक काम किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पालिकाध्यक्ष पाठक ने अपनी महत्त्वकांक्षी पूरी की है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में राज्य सरकार को एक प्रतिवेदन दिया जाएगा। वैसे भी संवैधानिक दृष्टि से अधिग्रहण का प्रस्ताव कोई मायने नहीं रखता है।

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(एस.पी. मित्तल) (6-06-2016)
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