गाय का दूध और मूत्र तो अमृत है ही। गोबर से मिलता हैऑक्सीजन। गाय मनुष्य का जीवन है।

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19 जून को अजमेर में पंचशील स्थित झलकारी बाई स्मारक पर आयोजित योग शिविर में पंचगव्य की विशेषज्ञ डॉ अनिता शर्मा ने कहा कि गाय का दूध और मूत्र तो अमृत है ही साथ ही गाय का गोबर शरीर की मांग से भी ज्यादा ऑक्सीजन देता है। आज जिस तरह से बीमारियों ने हर व्यक्ति को जकड़ लिया है, उसमें एक मात्र उपाय गाय हैं। गाय एक मात्र पशु है जिसके शरीर से निकलने वाली हर वस्तु उपयोगी है। डॉ शर्मा ने वैज्ञानिक परीक्षण के आधार पर बताया कि गाय के गोबर में 23 प्रतिशत ऑक्सीजन होता है और जब इसके कण्डे बन जाते है तो आक्सीजन की मात्रा 27 प्रतिशत हो जाती है। वैज्ञानिकों को आश्चर्य तो तब हुआ जब कंडे की राख की जांच की गई तो 47 प्रतिशत ऑक्सीजन नापा गया। उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं कहती कि आप गोबर खाए, लेकिन जिस प्रकार हम दूध और मूत्र का उपयोग कर रहे है तो उसी प्रकार गोबर का भी उपयोग करें। गोबर की राख के दो चम्मच पानी के मटके में घोल दें और फिर उस पानी को पिएं। राख के पानी को पीने से शरीर में कोई रोग नहीं होगा। डॉ शर्मा ने कहा कि हमारी देशी नस्ल की गाय के महत्व को देखते हुए ही एक षडय़ंत्र के तहत भारत में वर्णशंकर अथवा जर्सी गाय का चलन बढ़ा दिया गया। जर्सी गाय का दूध पीने का मतलब है कि सूअर का दूध पीना। देशी गाय के दूध में जो ताकत होती है, वैसी जर्सी गाय के दूध में नहीं होती। 1935 में अंग्रेजों ने एक फरमान जारी कर हमारे नंदी का वध करने का आदेश दे दिए थे। उन्होंने कहा कि गाय एक मात्र पशु है जो श्वास में भी ऑक्सीजन छोड़ता है। आज जो कैंसर जैसे रोग हो रहे हैं उसका कारण है कि हमारे शरीर में कार्बन की मात्रा बढऩा है, लेकिन जो लोग गायों के बीच रहते हैं उन्हें कभी भी रोग नहीं होता। डॉ. शर्मा ने कहाकि देशवासी भगवान कृष्ण को तो मानते हैं, लेकिन जिस कृष्ण ने गाय को माता मानकर जंगलों में चराया, उस गाय से प्रेम नहीं करते हैं। भगवान कृष्ण गाय का मक्खन चुराकर नहीं खाते थे, बल्कि इसके पीछे उन्होंने यह संदेश दिया कि गाय के दूध से बनने वाले उत्पाद को खाना कितना जरूरी है। जो लोग वास्तुशास्त्र जानते हैं, उनका भी कहना है कि जिस स्थान पर गाय रहती है और जहां गोबर और उसका मूत्र गिरता है, उस स्थान पर वास्तु दोष हो ही नहीं सकता। गाय के एक किलो दूध में 60प्रतिशत तो सोना होता है, इसलिए गाय के दूध में पीपालन होता है। इस दूध का घी भी पीला ही नजर आता है। उन्होंने कहा कि हमारी देशी गाय पर एक थुम्बी होती है, जिसे सूर्य केतु नाड़ी कहा जाता है। यानि इस थुम्बी का सूर्य से सीधा लिंक होता है। यही वजह है कि तपती धूप में भी गाय और बेल के काम करने पर वे थकते नहीं हैं। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि देशी गाय के दूध में सभी प्रकार के विटामिन होते हैं। उन्हांने कहा कि थैली और डिब्बा पैक दूध तो जहर के बराबर हैं, लेकिन आज नवजात बच्चों को भी पाउडर वाला दूध पिलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार नवजात शिशु के लिए मां का दूध अमृत है उसी प्रकार देशी गाय का दूध भी मां के दूध से कम नहीं है। गाय का दूध पीने वाला व्यक्ति कभी भी बीमार नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हमें गाय को माता मानकर ही नहीं बल्कि जीवन दायिनी मानकर सेवा करनी चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को अपने परिवार में एक देशी गाय पालनी ही चाहिए।
जीवन मित्र संस्था की ओर से आयोजित योग एवं प्राणायाम शिविर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के क्षेत्रीय कार्यवाह मोहन खंडेलवाल ने छत्रपति शिवाजी की जयंती के उपलक्ष में कहा कि जिस प्रकार शिवाजी ने अपने जीवन काल में देशभक्ति का परिचय दिया, उसी प्रकार आज प्रत्येक नागरिक को देशभक्ति दिखानी चाहिए। उन्होंने बताया कि किस प्रकार शिवाजी ने मुगल आक्रमण कारियों से लोहा लिया। आज भी देश के सामने विदेशी ताकतों से खतरा है। शिविर में अनिल पारीक ने बताया कि आनासागर लिंक रोड स्थित वेदांत न्यूरो थैरेपी सेंटर पर सम्पर्क कर विभिन्न रोगों के निदान की जानकारी ली जा सकती है। इसके लिए इच्छुक व्यक्ति मोबाइल नम्बर 8432480007 और 8104009444 पर सम्पर्क कर सकते हैं।
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(एस.पी. मित्तल) (19-06-2016)
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