कलेक्टर के आदेश से अजमेर के 50 हजार पेंशनर परेशान। बुजुर्गो की नहीं हो रही सुनवाई।

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कलेक्टर के आदेश से अजमेर के 50 हजार पेंशनर परेशान। बुजुर्गो की नहीं हो रही सुनवाई।
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अजमेर के युवा कलेक्टर गौरव गोयल के एक आदेश से जिले के करीब 50 हजार पेंशनरों को इन दिनों भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस परेशानी को लेकर बुजुर्ग नागरिक कलेक्टर के सामने गिड़गिड़ा चुके है, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। कलेक्टर गोयल ने हाल ही में एक आदेश निकालकर सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारियों के उपभोक्ता भंडार से दवाईयां लेने पर रोक लगा दी है। कलेक्टर ने पेंशनरों की दवाईयों के लिए जो नई व्यवस्था लागू की है उससे पेंशनरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पहले से ही बीमार पेंशनरों को भीषण गर्मी में दवाईयां हासिल करने के लिए 4-5 घंटे का समय लग रहा है और फिर भी इस बात की गारंटी नहीं है कि दवा मिल ही जाएगी। पूरे राजस्थान में अजमेर ऐसा जिला है जहां पेंशनरों के लिए नई व्यवस्था लागू की गई है। प्रदेशभर में यह व्यवस्था है कि अस्पताल में चिकित्सक को दिखाने के बाद उपभोक्ता भंडार से पेंशनर दवाईयां ले सकता है। जो दवाई भंडार में नहीं है उसे एनएसी के बाद बाजार से खरीदी जा सकती है, लेकिन कलेक्टर के आदेश की वजह से पेंशनरों को अब मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा काउंटर पर जाना होता है। इन काउंटरों पर पहले से ही लम्बी कतार लगी रहती है। संभाग के सबसे बड़े जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में पेंशनरों के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं की गई है। पेंशनरों को तब और परेशानी होती है, जब नि:शुल्क दवा काउंटर में 5 में से 3 दवा नहीं मिलती है। बेचारा पेंशनर पहले नि:शुल्क दवा काउंटर में एनएसी लेता है और फिर उपभोक्ता भंडार में जाता है जो दवा उपभोक्ता भंडार में नहीं मिलती उसके लिए दोबारा से एनएसी लेनी पड़ती है। अजमेर पेंशन समाज के अध्यक्ष कश्मीर सिंह ने बताया कि कलेक्टर ने जो नई व्यवस्था लागू की है उसमें बीमार पेंशनरों को भारी परेशानी हो रही है। पेंशनरों के एक प्रतिनिधि मंडल ने हाल ही में कलेक्टर से मिलकर अपनी परेशानी से अवगत कराया है। लेकिन अभी तक भी कोई राहत नहीं मिल पाई है। कश्मीर सिंह ने कहा कि अगस्त में जब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे राज्य स्तरीय स्वतंत्रता दिवस के समारोह में भाग लेने के लिए अजमेर आएंगी, तब उनके सामने बुजुर्गों की पीड़ा को रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि जब सम्पूर्ण प्रदेश में चिकित्सक की पर्ची के आधार पर उपभोक्ता भंडार से दवाएं मिलती हैं तो फिर अजमेर में क्यों नहीं मिल रही? उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि सत्तारुढ़ भाजपा के जनप्रतिनिधि भी बुजुर्गों की इस पीड़ा पर खामोश हैं। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे बार-बार बुजुर्गों को सम्मान देने का दावा करती हैं। लेकिन अजमेर में इसका उल्टा हो रहा है। पहले से ही बीमार पेंशनर जब भीषण गर्मी में दवा लेने के लिए संघर्ष करता है, तो उसकी पीड़ा का अंदाजा लगाया जा सकता है। कश्मीर सिंह ने बताया कि पेंशनरों को दवा देकर सरकार कोई एहसान नहीं करती। जब कर्मचारी सेवा में होता है तो उसके वेतन में से दवाओं की राशि की कटौती भी की जाती है। एक जनवरी 2004 के बाद सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों के वेतन में से तो प्रतिमाह 600 रुपए तक की कटौती हो रही है।
(एस.पी. मित्तल) (21-06-2016)
(www.spmittal.in) M-09829071511

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