आसमान में भी बढ़ा भारत का रुतबा। एक साथ बीस उपग्रहों को किया स्थापित। नरेन्द्र मोदी को भी जाता है श्रेय।

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आसमान में भी बढ़ा भारत का रुतबा।
एक साथ बीस उपग्रहों को किया स्थापित। नरेन्द्र मोदी को भी जाता है श्रेय।
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22 जून को दुनिया के आसमान में भी भारत का रुतबा बढ़ गया है। अंतरिक्ष के इतिहास में यह पहला अवसर रहा, जब भारत ने एक साथ बीस उपग्रहों को आसमान में स्थापित किया। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इन बीस उपग्रहों में चार अन्य देशों के उपग्रह भी शामिल हैं। यानि अब भारत की धरती से विदेशी उपग्रह भी आसमान में स्थापित किए जा सकते हैं। एक साथ छोड़े गए बीस उपग्रह आसमान में आपस में न टकराएं, इसके लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत की। 22 जून को सुबह 9:30 जब उपग्रह का लाइव प्रसारण हो रहा था, तब हम सब ने देखा कि कम्प्यूटर कक्ष में सिर्फ भारतीय वैज्ञानिक मौजूद थे। अमरीका, कनाडा, जर्मनी और इंडोनेशिया के उपग्रह भले ही श्री हरिकोटा से छोड़े गए लेकिन इन देशों के वैज्ञानिक बाहर के कक्ष में बैठे थे। यानी एक साथ बीस उपग्रह छोडऩे की प्रक्रिया में विदेशी वैज्ञानिकों का कोईसहयोग नहीं था। सब जानते हैं कि इन नए उपग्रहों से समुद्र में होने वाली उथल-पुथल की सटीक जानकारी मिलेगी। इतना ही नहीं अब हमारे उपग्रह एशिया महाद्वीप की जमीन पर भी गहरी नजर रखेंगे। जिन देशों में भारत के खिलाफ आंतकी प्रशिक्षण दिए जाते हैं, उन पर भी निगरानी होगी। चूंकि एक साथ बीस उपग्रह नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्रित्व कार्यकाल में स्थापित किए गए हैं, इसलिए श्रेय तो मोदी सरकार को भी जाएगा ही। आलोचक माने या नहीं लेकिन अमरीका, कनाडा, जर्मनी और इंडोनेशिया के उपग्रह भी इसलिए शामिल हो सके है कि नरेन्द्र मोदी विदेशी दौरे करते हैं। मोदी ने ही अपने दौरों के दौरान इन देशों को यह भरोसा दिलाया कि भारत बीस उपग्रह स्थापित करने में समक्ष हैं। जो लोग नरेन्द्र मोदी के बार-बार विदेशी दौरों का हिसाब मानते हैं उन्हें अब समझ लेना चाहिए कि आखिर मोदी विदेशी दौरों पर क्यों जाते हैं।

(एस.पी. मित्तल) (22-06-2016)
(www.spmittal.in) M-09829071511

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