क्या स्वामी प्रसाद मौर्या बेचते रहे बसपा के टिकिट? अब इस्तीफे के क्या मायने।

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22 जून को बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के पद से स्वामी प्रसाद मौर्या ने इस्तीफा दे दिया। मौर्या के इस्तीफे से मायावती को आगामी विधानसभा चुनाव में कितना झटका लगेगा, यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या पिछले 20 वर्षों से मौर्या भी बसपा के टिकिट बेच रहे थे? 22 जून को लखनऊ में अपने इस्तीफे का ऐलान करते हुए मौर्या ने कहा कि हर चुनाव में मायावती बसपा के टिकिट बेचती हैं, इसलिए अब वे दलित की बेटी नहीं बल्कि दौलत की बेटी हंै। मौर्या पहले ऐसे बसपा नेता नहीं है, जिन्होंने मायावती पर टिकिट बेचने के आरोप लगाए हैं। बसपा से जितने नेता बाहर आए, उन सभी ने ऐसे ही आरोप लगाएं। लेकिन मौर्या के आरोप इसलिए मायने रखते हैं कि बसपा में मौर्या ही मायावती के खासम खास थे। मायावती की मेहरबानी से ही मौर्या को यूपी में केबिनेट मंत्री का दर्जा मिला हुआ है। राष्ट्रीय महासचिव होने के साथ साथ मौर्या विधानसभा में विपक्ष के नेता भी हैं। ऐसे में मौर्या को केबिनेट मंत्री की सुविधाएं मिली हुई हैं। जब मौर्या मायावती के इतने खास हैं, तो ऐसा तो हो नहीं सकता कि मायावती अकेले-अकेले ही चुनाव में बसपा के टिकिट बेच दें। टिकिट बेचने की जमीन तो मौर्या जैसे विश्वासपात्र ही तैयार करते होंगे। मौर्या का का यह भी आरोप है कि वर्ष 2012 में विधानसभा और 14 में लोकसभा के टिकटों के बिकने की वजह से ही इन दोनों चुनावों में बसपा का सूपड़ा साफ हो गया। अब मौर्या को ही यह बताना है कि जब 12 और 14 में उनकी आंखों के सामने टिकिट बिके तो चुप क्यों रहे? क्या 2017 के विधानसभा चुनाव में मौर्या ने अपने रिश्तेदारों और समर्थकों के लिए मुफ्त में टिकिट मांगे? और मायावती ने मौर्या को मुफ्त में टिकिट नहीं दिए। इसलिए मौर्या ने बगावत कर दी। मौर्या ने 1996 में बसपा ज्वाइन की थी और तब से आज तक मौर्या बसपा में सत्ता की मलाईखाते रहे। यह माना कि यूपी में मौर्या दलित चेहरा हैं, इसलिए इस्तीफे की घोषणा के बाद मौर्या ने यूपी के मंत्र ीऔर सपा के दिग्गज नेता शिवपाल सिंह यादव और अजाम खान से मुलाकात की है, लेकिन माना जा रहा है कि मौर्या सपा की साइकिल पर बैठने के बजाए भाजपा के कमल को अपने माथे पर लगाएंगे। जानकारों की माने तो मौर्या की बगावत के पीछे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और यूपी के प्रभारी ओम माथुर की रणनीति रही है। आने वाले दिनों में बसपा ही नहीं सपा के दिग्गज नेता भी कमल का फूल अपने माथे पर लगाएंगे।
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(एस.पी. मित्तल) (22-06-2016)
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