हरा-भरा होगा भगवंत यूनिवर्सिटी का 300 बीघा का परिसर। पर्यावरण बचाना पहली प्राथमिकता – चेयरमेन अनिल सिंह।

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हरा-भरा होगा भगवंत यूनिवर्सिटी का 300 बीघा का परिसर। पर्यावरण बचाना पहली प्राथमिकता – चेयरमेन अनिल सिंह।
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यूं तो निजी क्षेत्र में चलने वाले अधिकांश शिक्षण संस्थानों का उद्देश्य धन अर्जित करना होता है, लेकिन कुछ संस्थान धन अर्जन के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों से जुड़े कार्य भी करते हैं। कुछ इसी उद्देश्य के साथ अजमेर के निकटवर्ती चाचियावास क्षेत्र में चलने वाली भगवंत यूनिवर्सिटी के चेयरमेन अनिल सिंह ने पर्यावरण बचाने का काम शुरू किया है। इसी उद्देश्य से 2 जुलाई को यूनिवर्सिटी के प्रबंधन ने पेड़ लगवाने के लिए मुझे खासतौर से आमंत्रित किया। यूनिवर्सिटी परिसर में चुनिंदा व्यक्तियों को बुलाकर पेड़ लगवाए जा रहे हैं।
चेयरमेन अनिल सिंह ने बताया कि प्रत्येक पेड़ की सार संभाल खासतौर से की जाएगी और जो विशिष्टजन पेड़ लगा रहे हैं वे एक साल बाद अपने लगाए पेड़ को देख सकते हैं। असल में आज पर्यावरण बचाने की सख्त जरूरत है। राजनीति से जुड़े लोग पर्यावरण बचाने पर भाषण तो देते हैं लेकिन जमीन पर कोई काम नहीं करते हैं। ऐसे माहौल में भगवंत यूनिवर्सिटी की करीब 300 बीघा भूमि को हरा भरा करने का फैसला लिया गया है। उन्होंने बताया कि स्वयंसेवी संगठन भी वर्षा के मौसम में यूनिवर्सिटी के परिसर में आकर पेड़ लगाने का काम कर सकते हैं। जितने भी पड़े लगेंगे उनके संरक्षण का काम हमारा संस्थान करेगा। यहां तक पेड़ भी हम उपलब्ध करवाएंगे। यूनिवर्सिटी के विशाल परिसर में छायादार पेड़ तो लगाए ही जाएंगे साथ ही औषधि के काम आने वाले पेड़ भी लगेंगे। इतना ही नहीं फलदार पेड़ भी लगाए जा रहे हैं। चूंकि यूनिवर्सिटी में इंजिनियरिंग के साथ कृषि विज्ञान की भी शिक्षा दी जाती है, इसलिए यूनिवर्सिटी में अध्ययन करने वाले हजारों विद्यार्थियों को भी इस अभियान से जोड़ा गया है। चेयरमेन सिंह ने अजमेर के सामाजिक और धार्मिक संगठनों से भी अपील की है कि पर्यावरण बचाने के लिए यूनिवर्सिटी के परिसर में पेड़ लगाएं। प्रबंधन का उद्देश्य इस अभियान से अधिक से अधिक लोगों को जोडऩा है। सिंह ने कहा प्रतिवर्ष वर्षा के मौसम में लाखों पेड़ लगाए जाते हैं, लेकिन देखभाल नहीं होने की वजह से थोड़े ही दिनों में पेड़ मर जाते हैं। लेकिन हमारे परिसर में प्रत्येक पेड़ का संरक्षण हर कीमत पर किया जाएगा। यूनिवर्सिटी में कृषि विज्ञान पढ़ाने वाले वैज्ञानिक एक-एक पड़े पर नजर रखेंगे। यूनिवर्सिटी के कुलपति वी.के. शर्मा ने बताया कि इस अभियान में रजिस्ट्रार ललित अवस्थी, डीन धर्मेन्द्र दुबे, राजीव सिंह, डॉ. विजय आदि की सक्रिय भूमिका है।
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(एस.पी. मित्तल) (02-07-2016)
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