वाकई कल्याण सिंह गवर्नर हैं! तीन घंटे के कार्यक्रम के लिए तीन दिन अजमेर में।

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वाकई कल्याण सिंह गवर्नर हैं!
तीन घंटे के कार्यक्रम के लिए तीन दिन अजमेर में।
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उत्तर प्रदेश की राजनीति में रहते हुए कल्याण सिंह की छवि एक लोकप्रिय राजनेता के रूप में थी। तब भाजपा के नेताओं में कल्याण सिंह का सबसे बड़ा राजनीतिक कद हो गया था। लेकिन अब वो ही कल्याण सिंह वाकई गवर्नर की जिन्दगी व्यतीत कर रहे हैं। कल्याण सिंह इस समय राजस्थान के गवर्नर हैं। सिंह ने एक अगस्त को अजमेर में एमडीएस यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में भाग लिया। यह कार्यक्रम मुश्किल से तीन घंटे का रहा। लेकिन इस तीन घंटे के कार्यक्रम के लिए सिंह अजमेर में तीन दिन गुजार रहे हंै। सिंह 31 जुलाई को ही अजमेर आ गए और अब दो अगस्त की शाम को अमेर से जाने का कार्यक्रम है। यह माना कि गवर्नर का पद संवैधानिक होता है और कल्याण सिंह जैसा गवर्नर कैसे रहे, यह भी उनका व्यक्तिगत मामला है। लेकिन जब गवर्नर पर लाखों रुपए सुरक्षा और अन्य इंतजामों पर खर्च होता हो तो फिर जनता का दखल भी हो जाता है। किसी भी गवर्नर को जो सुविधाएं प्राप्त होती है, उसे जनता द्वारा दिए गए टैक्स से ही पूरा किया जाता है। कल्याण सिंह 31 जुलाई को सायं चार बजे अजमेर के सर्किट हाऊस में आ गए थे, सिंह के लिए खासतौर से वीआईपी रूम तैयार किया गया था। सर्किट हाऊस पहुंचने पर गार्ड ऑफ ऑर्नर लेने और आगंतुक लोगों से मुलाकात करने के बाद गवर्नर साहब कमरे में चले गए। अब किसी की भी हिम्मत नहीं थी कि राजनेता से गवर्नर बने कल्याण सिंह से कोई मुलाकात कर सके।
सिंह के कमरे के बाहर राजभवन से आए अधिकारियों और सुरक्षा गार्डों का ही घेरा था। हालांकि गवर्नर के एडीजी मेजर अभिमन्यु ने सर्किट हाऊस आने वाले जिला प्रशासन के अधिकारियों और अन्य लोगों से बहुत ही विनम्रता के साथ संवाद किया। कल्याण सिंह की जगह यदि और कोई गवर्नर होता तो सर्किट हाऊस में शाम के वक्त भी लोगों से मुलाकात कर सकता था। लेकिन कल्याण सिंह तो वाकई गवर्नर की भूमिका निभा रहे थे। तय कार्यक्रम के अनुसार सिंह को एक अगस्त को प्रात: 11 बजे आगंतुकों से मुलाकात करनी थी, लेकिन सिंह दोपहर एक बजे तक अपने वीआईपी रूम से बाहर नहीं निकले। असम के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एम.एन.भार्गव भी लम्बा इंतजार करने के बाद सर्किट हाऊस से लौट गए। दोपहर एक बजे जब गवर्नर साहब सर्किट हाऊस के हॉल में लोगों से मिलने आए तो मुश्किल से चार-पांच जने ही थे। इनमें से तीन तो कॉलेज की छात्राएं थीं। कुछ समय रुकने के बाद कल्याण सिंह फिर से अपने कक्ष में चले गए। इसके बाद कल्याण सिंह वीआईपी रूप से तभी बाहर आए, जब उन्हें दोपहर तीन बजे एमडीएस यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में भाग लेने जाना था। सिंह भले ही अपने कक्ष से बाहर न आए हो, लेकिन सर्किट हाऊस के बाहर एम्बुलैंस से लेकर फायर ब्रिगेड तक के वाहन लाइन लगाकर खड़े रहे। अनेक सुरक्षा जवान मुस्तैद थे तो जिला एवं पुलिस प्रशासन के अधिकारी भी तैनात रहे। यूनिवर्सिटी के समारोह से लौटने के तुरंत बाद कल्याण सिंह फिर से अपने कक्ष में चले गए। कल्याण सिंह 2 अगस्त को अजमेर के निकटवर्ती मुहामी गांव में जनसुनवाई कर ग्राीमणों की समस्याओं को जानेंगे। इस गांव को यूनिवर्सिटी ने ही गोद ले रखा है। इसके अलावा कल्याण सिंह अजमेर में किसी भी कार्यक्रम में भाग नहीं ले रहे है। यानि तीन घंटे के कार्यक्रम के लिए कल्याण सिंह तीन दिन अजमेर में बिता रहे हैं। जानकारों की माने तो कल्याण सिंह का स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा है। उन्हें पैदल चलने में भी परेशानी होती है। किसी भी कार्यक्रम में भाग लेने से पहले कल्याण सिंह को स्वस्थ दिखाने के लिए लम्बी तैयारी करनी होती है। चंूकि गवर्नर होने के नाते कल्याण सिंह प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी हैं, इसलिए दीक्षांत समारोह में कल्याण सिंह की उपस्थिति अनिवार्य होती है।
यूपी चुनाव में है सक्रियता की तमन्ना:
कल्याण सिंह को भले ही तीन घंटे के समारोह में भाग लेने के लिए तीन दिन लगते हो, लेकिन अभी भी उनकी तमन्ना है कि वे अगले वर्ष होने वाले उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से सक्रिय भूमिका निभाएं। अपनी तमन्ना को कल्याण सिंह ने कई बार यूपी दौरे में जाहिर भी किया है। इसलिए पिछले दिनों अपना जन्मदिन राजस्थान के राजभवन में मनाने के बजाए लखनऊ में जाकर मनाया। इसमें कोई दो राय नहीं कि यूपी में कल्याण सिंह आज भी लोकप्रिय हैं।

(एस.पी. मित्तल) (01-08-2016)
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