अजमेर की जिला परिषद के वार्ड उपचुनाव में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट की प्रतिष्ठा दांव पर। दोनों की है व्यक्तिगत रुचि।

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अजमेर की जिला परिषद के वार्ड संख्या 5 के उपचुनाव के लिए पांच अगस्त को मतदान होना है। यंू तो हर चुनाव में सत्तारुढ़पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री और प्रमुख विपक्षी दल के प्रदेश अध्यक्ष की प्रतिष्ठा दांव पर होती है। लेकिन अजमेर के वार्ड के उपचुनाव में व्यक्तिगत रुचि की दखल होने क ेकारण मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। भले ही चुनाव में भाजपा की कंचन गुर्जर और कांग्रेस की उम्मीदवार सुनीता गुर्जर के बीच मुकाबला है। लेकिन यदि इस चुनाव में भाजपा की हार हुई तो इसका सीधा असर मुख्यमंत्री राजे की लोकप्रियता और सरकार के फैसले पर होगा। इसी प्रकार कांग्रेस की हार हुईतो यह माना जाएगा कि सचिन पायलट की अपने ही घर में पकड़ नहीं है। पहले बात भाजपा की। इस वार्ड में नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र की बिठूर ग्राम पंचायत भी आती है। यह वहीं बिठूर है, जिसमें मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे न्याय आपके द्वार शिविर में अचानक आई थीं। तब बिजली कटौती को लेकर ग्रामीणों ने शिकायत की तो मुख्यमंत्री के निर्देश पर अजमेर डिस्कॉम के चार इंजीनियरों को निलंबित कर दिया गया। इसमें जेइएएन से लेकर एसई स्तर तक के इंजीनियर शामिल थे। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने बिठूर ग्राम पंचायत के बिजली फीडर को प्रदेश का मॉडल घोषित कर दिया। आज भी सरकार के जनसम्पर्क विभाग के विज्ञापनों में बिठूर गांव का उल्लेख होता है। ईटीवी और दूसरे न्यूज चैनलों पर प्रसारित विज्ञापनों में बिठूर गांव के शिविर में मुख्यमंत्री का फोटो बार-बार दिखाया जाता है। यानि जिला परिषद के इस वार्ड के उपचुनाव पर मुख्यमंत्री का सीधा दखल है। भाजपा के लिए इस वार्ड का चुनाव इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि यहां के सांसद सांवरलाल जाट हैं। सब जानते हैँ कि हाल ही में केन्द्रीय मंत्रिमंडल से हटाए जाने के कारण जाट के समर्थक भाजपा से बेहद नाराज हैं। यदि भाजपा उम्मीदवार की हार होती है तो इसे जाट के समर्थक अपनी जीत मानेंगे। इसी प्रकार भाजपा के देहात जिला अध्यक्ष बी.पी.सारस्वत का ब्रिडि़क्चियावास गांव भी इसी वार्ड में आता है। हालांकि सारस्वत ने इस गुर्जर बहुल्य क्षेत्र से गुर्जर उम्मीदवार मैदान में उतारा है, लेकिन इस वार्ड का इतिहास बताता है कि यहां से कभी भी भाजपा उम्मीदवार की जीत नहीं हुई।
इसलिए है पायलट की प्रतिष्ठा दांव पर:
सब जानते हैं कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट का अजमेर गृह जिला है। पायलट ने वर्ष 2009 का लोकसभा चुनाव अजमेर से जीता और वर्ष 2014 के चुनाव में हार का स्वाद भी चखा। पायलट के लिए इस वार्ड का चुनाव व्यक्तिगत तौर पर इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि यहां का सम्पूर्ण क्षेत्र पायलट की गुर्जर जाति बहुल्य है। यहां कि 70 प्रतिशत आबादी गुर्जर समुदाय की है। ऐसे में यदि कांग्रेस के उम्मीदवार की हार होती है तो यही माना जाएगा कि पायलट की अपनी जाति के मतदाताओं पर ही पकड़ नहीं है। इसलिए पायलट ने कांग्रेस के क्षेत्रीय विधायक रामनारायण गुर्जर को पूरी छूट दी है कि वे हर हाल में कांग्रेस के खाते में जीत दर्ज करवावें। पायलट की प्रतिष्ठा का ख्याल रखते हुए ही कांग्रेस विधायक गुर्जर रात और दिन इस वार्ड के एक-एक मतदाता से सम्पर्क कर रहे हैं। चूंकि कांग्रेस को हर हाल में यहां जीत हासिल करनी है इसलिए उस सुनीता गुर्जर को उम्मीदवार बनाया जिसके ससुर श्रीकिशन गुर्जर थोड़े दिन पहले तक भाजपा के पदाधिकारी थे। विधायक गुर्जर के सामने गुर्जर मतदाताओं में फूट की भी चुनौती है। लेकिन कांग्रेस को भाजपा के सांसद सांवरलाल जाट के नाराज समर्थकों का फायदा मिल रहा है। भले ही इस चुनाव में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हो, लेकिन सांसद जाट तटस्थ बने हुए हैं। मालूम हो कि पूर्व में निर्वाचित कांग्रेस की उम्मीदवार की सरकारी नौकरी लगने की वजह से ही उपचुनाव हो रहा हैं। यहां कांग्रेस ने गत बार 1268 मतों से जीत हासिल हुई थी।
(एस.पी. मित्तल) (04-08-2016)
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