तो नरेन्द्र मोदी ने दलितों पर अत्याचार का मुद्दा विपक्ष को दे ही दिया। संघ भी सहमत नहीं हैं मोदी के बयान से।

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8 अगस्त को दिल्ली में बसपा सुप्रीमो मायावती और उधर लखनऊ में यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर जमकर हमला बोला। मोदी पिछले दो दिन से दलितों पर अत्याचार होने का जो राग अलाप रहे हैं उसमें माया और अखिलेश की जोड़ी ने मुसलमानों को भी जोड़ दिया है। विपक्ष का कहना है कि भाजपा के समर्थक माने जाने वाले गौरक्षक दलितों और मुसलमानों पर अत्याचार कर रहे हंै। मोदी ने यह बात प्रधानमंत्री बनने के दो वर्ष बाद स्वीकार की है। यानि मोदी ने यूपी चुनाव के मद्देनजर विपक्ष को घर बैठे दलित अत्याचार का मुद्दा दे दिया है। यूपी में दलित और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। यदि अखिलेश यादव और मायावती भाजपा को दलित और मुस्लिम विरोधी होने के प्रचार में सफल हो गए तो चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ेगा। अब देखना है कि भाजपा इन परिस्थितियों से कैसे निपटती है। जहां तक दलितों पर अत्याचार का सवाल है तो इसमें अपराधी तत्वों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। सवाल दलित और मुसलमान का ही नहीं है। यदि कोई भी व्यक्ति कानून अपने हाथ में लेकर किसी भी जाति के व्यक्ति को पीटता है तो उसे सजा मिलनी ही चाहिए लेकिन यदि एक-दो घटनाओं को लेकर संपूर्ण दलित और मुस्लिम समाज पर अत्याचार का राग अलापा जाए तो इसे किसी भी स्थिति में उचित नहीं माना जा सकता है। नरेन्द्र मोदी जैसे नेताओं को यह समझना चाहिए कि हमारे देश की आंतरिक स्थिति बहुत नाजुक है। छोटी-छोटी बातों पर बड़े-बड़े साम्प्रदायिक और जातीय दंगे हो जाते हैं। अच्छा होता कि नरेन्द्र मोदी अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करवाते। मोदी पिछले दो दिनों से जो राग अलाप रहे हैं उससे देश के हालात और खराब होंगे। एक और सबका साथ सबका विकास का नारा दिया जा रहा है तो फिर दलितों पर अत्याचार की बात कहा से आ गई? ऐसा प्रतीत होता है कि प्रधानमंत्री को देश की जमीनी हकीकत की जानकारी नहीं है। अत्याचार दलितों पर ही नहीं, समाज के हर कमजोर व्यक्ति पर हो रहे हंै। यह व्यक्ति भले ही किसी भी जाति का हो। संगठित गिरोह के लोग कानून की आड़ लेकर ऐसा तबाह करते हैं कि घर-परिवार सब बिक जाता है। नरेन्द्र मोदी पता कर लें कि कमजोर व्यक्ति को अपना इलाका भी छोडऩे को मजबूर होना पड़ रहा है। यदि यूपी में दलितों और मुसलमानों पर अत्याचार हो रहे हैं तो इसकी जिम्मेदारी भी मायावती और अखिलेश यादव की ही है। इन दोनों ही नेताओं की पार्टिया बारी-बारी से यूपी में शासन करती हंै। जो लोग दलितों और मुसलमानों पर अत्याचार करते हैं, उनके खिलाफ इन दोनों नेताओं को ही कार्यवाही करनी है। यूपी में यदि कही अत्याचार हो रहा है तो उसकी जिम्मेदारी नरेन्द्र मोदी की नहीं है। देश में जो व्यवस्था है उसके मुताबिक कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है।
संघ भी सहमत नहीं :
गौरक्षक दलितों पर अत्याचार कर रहे हैं और 80 प्रतिशत गौरक्षक अपराधी प्रवृत्ति के हैं, नरेन्द्र मोदी के इस बयान से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी सहमत नहीं है। इसलिए ताजा परिस्थितियों में संघ के प्रचार विभाग ने एक बयान जारी किया है। इस बयान में कहा गया है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और भारतीय गौ सदैव से देश की कृषि का आधार रही है। रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के बेतहाशा प्रयोग से जब सारा विश्व पीडि़त है, तब गौ आधारित आर्गेनिक कृषि का महत्त्व और भी बढ़ जाता है, इसलिए गौ सेवा और गौ रक्षा के संबंध में हिन्दू समाज तथा अन्य समाज बंधुओं की श्रद्धा एक महत्त्वपूर्ण पक्ष है। गांधी जी, विनोबा जी तथा मालवीय जी श्रेष्ठ व्यक्तियों ने इस पवित्र कार्य को इसीलिए अपने जीवन का प्रमुख कार्य माना था।
समाज के कुछ असामाजिक तत्वों के द्वारा गौ रक्षा के नाम पर कुछ स्थानों पर कानून अपने हाथ में ले कर एवं हिंसा फैलाकर समाज का सौहार्द दूषित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इससे गौ रक्षा एवं गौ सेवा के पवित्र काम के प्रति आशंकाए उठ सकती है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ देशवासियों से आह्वान करता है कि गौ रक्षा के नाम पर कुछ मु_ी भर अवसरवादी लोगों के ऐसे निंदनीय प्रयासों को, गौ रक्षा के पवित्र कार्य में लगे देशवासियों से न जोड़े और उनका असली चेहरा सामने लाएं। राज्य सरकारों से भी हम आह्वान करते हैं कि ऐसे तत्वों पर उचित काननूी कार्यवाही करें तथा गौ रक्षा एवं गौ सेवा के सच्चे कार्य को बाधित न होने दें।

(एस.पी. मित्तल) (08-08-2016)
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