जाकिर नाईक के मामले में सोती रही भारत सरकार। तीन साल में 60 करोड़ रुपए कैसे आ गए? क्या आम आदमी को मिल सकती है ऐसी छूट?

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जाकिर नाईक के मामले में सोती रही भारत सरकार।
तीन साल में 60 करोड़ रुपए कैसे आ गए? क्या आम आदमी को मिल सकती है ऐसी छूट?
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आम आदमी जब अपने खाते में पचास हजार रुपए से अधिक राशि जमा करवाता है या निकालता है तो बैंक वाले 36 सवाल पूछते हैं और अब तो तीन लाख की खरीद करने पर 66 सवाल आम आदमी के सामने रख दिए गए हैं। लेकिन वहीं जेहाद को जरूरी बताने वाले मुस्लिम विद्वान जाकिर नाईक के मुम्बई के बैंक खातों में गत तीन वर्षों से 60 करोड़ की राशि जमा हो गई। इन तीन वर्षों में बीते दो वर्ष से देश में नरेन्द्र मोदी की सरकार कायम है। सवाल उठता है कि जब करोड़ों रुपए जाकिर नाईक के व्यक्तिगत खातों में जमा हो रहा था, तो मोदी सरकार का आयकर विभाग क्या कर रहा था? गंभीर बात तो यह है कि अब जाकिर नाईक बड़े आराम से दुबई और अन्य मुस्लिम देशों में रह रहा है। यानी भारत का कानून अब जाकिर नाईक का कुछ नहीं बिगाड़ सकता। विदेशों से प्राप्त धन से ही जाकिर नाईक मुम्बई में रहकर ऐसी धार्मिक गतिविधियां कर रहा था, जिससे मुस्लिम युवक जेहाद और आतंक के लिए पे्ररित हो रहे थे। भारत की लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्षता की व्यवस्था तथा सरकार तो नाईक को मुस्लिम विद्वान और धर्म प्रचारक मानती रही। पिछले दिनों जब बांग्लादेश में बम विस्फोट हुआ और उसमें पकड़े गए आतंकियों ने यह बताया कि जाकिर नाईक के विचारों से प्रेरित होकर ही आतंकी वारदात को अंजाम दिया है, तब जाकर भारत सरकार सतर्क हई। इसे भी भारतीय कानून और व्यवस्था का लचरपन ही कहा जाएगा कि अभी तक भी जाकिर के एनजीओ पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, जबकि बांग्लादेश में सभी प्रतिबंध नाईक पर लगा दिए हैं। इससे ज्यादा और क्या मजाक हो सकता है कि जाकिर नाईक दुबई में बैठ कर भारत में स्काइप के जरिए अपने तर्क रख रहा है।

(एस.पी. मित्तल) (11-08-2016)
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