मदरसों के बच्चों ने ख्वाजा के दर से आतंकी हाफिज, मसूद अजहर जैसों को मुंहतोड़ जवाब दिया। तिरंगा रैली निकाल कर भारतीय सेना की हौंसला अफजाई की।

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2 अक्टूबर को अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह से एक तिरंगा रैली निकाल कर मदरसों में पढऩे वाले मुस्लिम छात्र-छात्राओं ने पाकिस्तान में बैठे आतंकी हाफिज सईद, मसूद अजहर जैसों को मुंह तोड़ जवाब दिया है। हाफिज सईद जैसों का बार-बार यह दावा होता है कि कश्मीर को आजाद करवाने में भारत के मुस्लिमों का भी समर्थन है। लेकिन दावतुल संस्था से जुड़े मदरसों के बच्चों ने 2 अक्टूबर को तिरंगा रैली निकाल कर यह जता दिया कि भारत के लोग आतंकी के साथ नहीं है। सर पर टोपी, सफेद कुर्ता और पाजामा पहने लड़के और बुरका पहने मदरसों की लड़कियों ने ख्वाजा साहब की दरगाह के बाहर खड़े होकर हिन्दुस्तान जिंदाबाद, पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए। इन विद्यार्थियों के हाथ में स्लोगन लिखी तख्तियां थी, जिनमें पीओके पर हमले के लिए भारतीय सेना की हौंसला अफजाई की गई थी। इस रैली में मेरे सहित दावतुल संस्था के चीफ मौलाना अयूब कासमी, ख्वाजा साहब की दरगाह के दीवान के उत्तराधिकारी नसरूद्दीन चिश्ती, दरगाह कमेटी के पूर्व उपाध्यक्ष अब्दुल बारी, दरगाह के प्रमुख खादिम सैयद गौहर चिश्ती, पीर नफीस मियां चिश्ती, महमूद खान आदि शरीक हुए। यह रैली जब ख्वाज साहब की दरगाह से रवाना हुई तो इस मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र का माहौल देशभक्ति से परिपूर्ण हो गया। हाथों में तिरंगा लिए लिए जब देशभक्ति के नारे लगाए गए तो उपस्थित हजारों लोग आश्चर्यचकित हो गए। रैली देहली गेट, महावीर सर्किल होते हुए बजरंग गढ़ स्थित विजय स्मारक पर पहुंची। मुस्लिम छात्र-छात्राएं जोशीले अंदाज में पाकिस्तान के उस टैंक पर चढ़ गए, जिसे 1971 के युद्ध में भारतीय सेना ने जीता था। इस टैंक पर हमारी जीत का प्रतीक पाकिस्तान का उल्टा झंडा चिपका हुआ था, लेकिन मदरसों के बच्चों ने अपने देश का तिरंगा लहराकर अपने जब्बों का इजहार किया। यहां आयोजित एक सभा में सभी वक्ताओं ने एक स्वर से पीओके पर हमले पर भारतीय फौज के एक्शन पर तारीफ की। दरगाह दीवान के उत्तराधिकारी नसरूद्दीन चिश्ती ने कहा कि यदि आवश्यकता हुई तो देश का मुसलमान भी एक देशभक्त नागरिक की तरह सीमा पर पाकिस्तान के साथ लडऩे को तैयार है। मेरा कहना रहा कि जब सरकार की इच्छा शक्ति प्रबल होती है तो हमारी सेना युद्ध का कोई भी मैदान जीत सकती है। आज हमें सेना की हौंसला अफजाई करने की जरूरत है। आज ख्वाजा साहब की दरगाह से जो संदेश गया है, उससे अब देश के अन्य शहरों में भी ऐसे आयोजन होंगे। मौलाना अयूब कासमी ने कहा कि ख्वाजा साहब ने जो भाईचारे का पैगाम दिया है, उसी से आतंकवाद का मुकाबला किया जा सकता है। उन्होंने कहा देश का कोई भी मुसलमान पाकिस्तान के आतंकवादियों के साथ नहीं है। इस सभा का संचालन नवाब हिदायतउल्ला ने किया और अंत में अहसान सुल्तानी ने आभार जताया। चांदबाबा, सलीम सराधना, अब्दुल रहमान कुरैशी, महिला कांग्रेस अध्यक्ष सबा खान, रुस्तम अली घौसी, नजीर कादरी, दिलीप सामनानी फखरुद्दीन शाह, मोईन खान, नंदू आरिफ शाह आदि मौजूद रहे।
ऐसे हुई तिरंगा रैली
गत 30 सितम्बर को दावतुल संस्था के चीफ मौलाना अयूब कासमी से मेरा संवाद हुआ। मौलाना ने कहा कि पीओके पर आतंकवादियों को ठिकाने लगाने के लिए हमारी सेना ने जो दिलेरी का काम किया है, उसकी हौसला अफजाई होनी चाहिए। तब मेरा सुझाव रहा कि ख्वाजा साहब की दरगाह से एक तिरंगा रैली निकाली जाए। इस पर मौलाना कसमी तुरन्त तैयार हो गए। मुझे इस बात का गर्व है कि मौलाना कासमी के प्रयासों से बड़ी संख्या में मदरसों में पढऩे वाले लड़के-लड़कियों ने तिरंगा रैली में भाग लिया। अब ऐसे आयोजन देशभर में होने चाहिए ताकि हमारी सेना का मनोबल और ऊंचा हो सके।
(एस.पी. मित्तल) (2-10-2016)
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