आखिर हमने किस रावण को जलाया? सतयुग के उस रावण से भी ज्यादा चरित्रहीन रावण आज समाज में जिंदा हैं।

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11 अक्टूबर को दशहरे पर देशभर में खासकर उत्तर भारत में जगह-जगह उस रावण के पुतले जलाए गए, जिसने सतयुग में माता सीता का अपहरण किया था। उस रावण को आज कलयुग में बुराई का प्रतीक माना जाता है। इसलिए प्रतिवर्ष दशहरे पर रावण के पुतले को जलाकर हम यह मान लेते हैं कि बुराई को जला दिया गया है। लेकिन क्या हकीकत में ऐसा है? सतयुग के रावण ने तो सिर्फ अपहरण किया था, लेकिन आज कलयुग के रावण तो अपहरण के बाद सीता रूपी महिला का बलात्कार और फिर हत्या तक कर रहे हंै। सतयुग के अपहरणकर्ता रावण को तो भगवान राम ने मार डाला, लेकिन कलयुग के अपहरणकर्ता, बलात्कारी और हत्यारे रावण तो सरेआम घुम रहे हैं। पुलिस, न्यायिक व्यवस्था आदि राम के स्वरूप आज के रावण की ताकत के सामने कमजोर साबित हो रहे हैं। इससे ज्यादा शर्म की बात क्या हो सकती है कि आज के रावणों को सत्ता में बैठे राजनेताओं का संरक्षण प्राप्त है। अच्छा हो हम सतयुग के रावण के पुतले को जलाने की बजाय समाज में जिंदा घुम रहे आज के रावणों का खात्मा करें। सच मानिए उस रावण से कहीं ज्यादा चरित्रहीन आज के जिंदा रावण हैं। हम स्वयं देख रहे हैं कि हमारे आसपास ही कैसे-कैसे चरित्रहीन रावण घुम रहे हंै। जब तक ऐसे रावणों का खात्मा नहीं होगा तब तक उस रावण के पुतले को जलाने से कोई लाभ नहीं होगा।
(एस.पी. मित्तल) (11-10-2016)
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