तीन तलाक पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दो टूक। कहा सम्प्र्रदाय के आधार पर महिलाओं से भेदभाव नहीं होने देंगे।

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तीन तलाक पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दो टूक। कहा सम्प्र्रदाय के आधार पर महिलाओं से भेदभाव नहीं होने देंगे।
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24 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने यूपी दौरे के दौरान बुन्देलखंड के महोबा में तीन तलाक के मुद्दे पर साफ-साफ कहा कि सम्प्रदाय के आधार पर किसी भी महिला के साथ भेदभाव नहीं होने दिया जाएगा। मोदी ने यह बात तब कही हैं जब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सहित अधिकांश मुस्लिम संगठन इस मुद्दे पर केन्द्र सरकार की आलोचना कर रहे है। बोर्ड तो देशभर में मुस्लिम महिलाओं से फार्म भरवाकर तीन तलाक पर सहमति करवा रहा है। उम्मीद तो यहीं थी कि मुस्लिम संगठनों ने जो दबाव बनाया है उसे देखते हुए केन्द्र सरकार तीन तलाक के मुद्दे पर पीछे हट जाएगी। लेकिन 23 अक्टूबर को जिस दृढ़ता के साथ सरकार ने अपनी भावना को प्रकट किया, उससे लगता है कि तीन तलाक के मुद्दे पर मुस्लिम महिलाओं को राहत मिलेगी। पीएम ने दो टूक शब्दों में कहा कि मुस्लिम मां-बहिनों को भी समानता का अधिकार मिलना चाहिए और इसमें सरकार मुस्लिम महिलाओं के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि तीन तलाक को हिन्दु और मुसलमान से न जोड़ा जाए। यह हमारी मां बहनों के सम्मान का मुद्दा है। कुछ लोग अपने स्वार्थो की वजह से इस मुद्दे पर भ्रम फैला रहे हंै। जबकि सरकार का मकसद महिलाओं को समानता का अधिकार दिलवाना है।
उन्होंने कहा कि मैं मीडिया से अनुरोध करना चाहता हूं कि तीन तलाक को लेकर जारी विवाद को मेहरबानी करके सरकार और विपक्ष का मुद्दा ना बनाएं। भाजपा और अन्य दलों का मुद्दा ना बनाएं, हिन्दू और मुसलमान का मुददा ना बनाएं। जो कुरान को जानते हैं, वे टीवी पर आकर चर्चा करें। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुसलमानों में भी लोग सुधार चाहते हैं। जो सुधार नहीं चाहते हैं, उनकी चर्चा हो। सरकार ने अपनी बात रख दी है। कोई गर्भ में बच्ची की हत्या कर दे तो उसे सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। वैसे ही तीन तलाक कहकर औरतों की जिन्दगी बर्बाद करने वालों को यूं ही नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
पीएम मोदी ने जिस दृढ़ता से अपनी बात को रखा है उससे यह भी प्रतीत होता है कि अब सुप्रीम कोर्ट में सरकार और प्रभावी तरीके से इस मुद्दे को प्रस्तुत करेगी। तीन तलाक की प्रथा पर रोक लगाने के लिए मुस्लिम महिलाओं ने ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इसी पर केन्द्र सरकार ने भी ऐसी प्रथा पर रोक लगाने पर सहमति दी है। देश की आजादी के बाद यह पहला अवसर है जब केन्द्र सरकार ने सभी धर्मो की महिलाओं को समान अधिकार देने की पैरवी की है। माना जा रहा है कि सरकार का यह फैसला दूरगामी साबित हो। अब देखना है कि पीएम के बयान पर मुस्लिम संगठन क्या प्रतिक्रिया देते है।

(एस.पी. मित्तल) (24-10-2016)
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