आखिर दरगाह कमेटी क्यों नहीं करती जमीयत के अधिवेशन की अनुमति को निरस्त। अजमेर प्रशासन ने नहीं दी मंजूरी।

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आखिर दरगाह कमेटी क्यों नहीं करती जमीयत के अधिवेशन की अनुमति को निरस्त। अजमेर प्रशासन ने नहीं दी मंजूरी।
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अजमेर के जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने यहां कायड़ स्थित विश्राम स्थली में होने वाले जमियत उलेमा ए हिन्द के राष्ट्रीय सम्मेलन को मंजूरी देने से इंकार कर दिया है, लेकिन इसके बावजूद भी दरगाह कमेटी ने पूर्व में जारी अपनी अनुमति को अभी तक भी निरस्त नहीं किया है। इससे दरगाह कमेटी की कार्यशैली पर सवालिया निशान लग रहा है। दरगाह कमेटी केन्द्रीय अल्प संख्यक मंत्रालय के अधीन काम करती है। कायड़ विश्राम स्थली की देखरेख का जिम्मा दरगाह कमेटी के पास ही है। कायदे से तो दरगाह कमेटी को किसी भी कार्यक्रम की अनुमति तभी देनी चाहिए जब कानून व्यवस्था की दृष्टि से जिला प्रशासन से मंजूरी मिल जाए, लेकिन दरगाह कमेटी ने अपने स्तर पर निर्णय लेते हुए जमितयत उलेमा ए हिन्द को कायड़ विश्राम स्थली में राष्ट्रीय अधिवेशन करने की अनुमति दे दी। कमेटी ने यह भी नहीं सोचा कि आखिर विश्राम स्थली पर 4 लाख लोगों के इंतजाम कैसे होंगे? हालांकि अब जमियत के प्रतिनिधियों का कहना है कि 4 लाख नहीं बल्कि 40 हजार लोग ही राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेंगे। 40 हजार वाले प्रस्ताव पर अभी जिला प्रशासन ने कोई निर्णय नहीं लिया है, लेकिन दरगाह कमेटी की अनुमति अभी तक भी कायम है। यदि जिला प्रशासन की मंजूरी का विवाद अदालत में जाता है तो जमियत के पास दरगाह कमेटी की अनुमति का पत्र सबसे बड़ा दस्तावेज होगा। दरगाह कमेटी के पदाधिकारियों और नव-नियुक्त नाजिम ले कर्नल मंसूर अली खान को भी पता है कि जिला प्रशासन ने जमियत के राष्ट्रीय अधिवेशन करने की मंजूरी नहीं दी है, लेकिन इसके बावजूद भी दरगाह कमेटी अपनी अनुमति को निरस्त नहीं कर रही है। इससे प्रतीत होता है कि केन्द्र सरकार के अधीन काम करने वाली दरगाह कमेटी अजमेर प्रशासन से टकराव के मूड में है। मालूम हो कि जमियत ने 11, 12 व 13 नवंबर को राष्ट्रीय अधिवेशन अजमेर में करने की घोषणा कर रखी है।

(एस.पी.मित्तल) (29-10-16)
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