आतंकियों के हिमायती कश्मीर के हालातों से सबक क्यों नहीं लेते? भोपाल की घटना पर क्यों उठाए जा रहे हैं सवाल?

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1 नवंबर को एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल की सेंट्रल जेल के उस हैड कांस्टेबल रमाशंकर चादव के परिजनों से मुलाकात की, जिसे 31 अक्टूबर को जेल के अंदर ही मौत के घाट उतार दिया था। आतंकी वारदातों में लिप्त सिमी के 8 कैदी जेल तोड़ कर भाग निकले थे। भोपाल पुलिस ने अचारपुरा के जंगलों में मुठभेड़ के दौरान आठों आतंकियों को मार गिराया। कांग्रेस, लेफ्ट, आप, राजद आदि राजनीतिक दलों के नेता अब आतंकियों की मुठभेड़ पर सवाल उठा रहे हैं। सीएम चौहान ने हैड कांस्टेबल के परिजनों से मिलने के बाद कहा कि देश की राजनीति इतनी घटिया हो गई है कि देश के लिए जान गंवाने वालों की चिंता नहीं होती, बल्कि देश को नुकसान पहुंचाने वालों की हिमायत की जाती है। यादव की बेटी का विवाह इसी माह होने वाला है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस बेटी के दिल पर क्या बीत रही होगी। जो लोग दो-दो बार जेल प्रहरियों की हत्या कर, जेल तोड़ कर भाग रहे हैं, उनके एनकाउंटर पर सवाल उठाए जा रहे हैं। यदि ऐसे आतंकी एमपी या देश के अन्य किसी हिस्से में वारदात कर देते तो कौन जिम्मेदार होता?
कश्मीर के हालात
जो लोग आतंकियों की हिमायत कर रहे हैं, उन्हें कश्मीर के हालातों से सबक लेना चाहिए। सही है कि कश्मीर के अधिकांश मुसलमान शांति चाहते हैं। कश्मीर के युवा रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटक रहा है, लेकिन अलगाववादियों और आतंकियों की डर की वजह से परेशान मुसलमान खामोश है। आज 3 महीने से ज्यादा का समय हो गया, कश्मीर में हालात बद से बदतर हंै। आतंकियों और अलगाववादियों की हिमायत करने का नतीजा ही रहा कि पहले कश्मीर से हिन्दुओं को पीट-पीट कर भगा दिया गया, उसके बाद केन्द्र सरकार के शिक्षण संस्थानों में पढऩे वाले गैर मुसलमान विद्यार्थियों को स्कूल-कॉलेज छोडऩे के लिए मजबूर किया गया। इतना ही नहीं अब तो कश्मीर में सरकारी स्कूलों को जलाया जा रहा हैं। कश्मीर के बच्चे खासकर लड़कियां स्कूलों की सुरक्षा के लिए गुहार लगा रही है, जो लोग आतंकियों के हिमायती बने हुए हैं, उन्हें यह बताना चाहिए कि कश्मीर के हालातों का कौन जिम्मेदार है?। ऐसा न हो जिस तरह आतंकियों और अलगाववादियों ने कश्मीर के हालात बनाए है, वैसे हालात देशभर में न हो जाए। बार-बार यह दावा किया जाता है कि आतंकियों को कोई धर्म नहीं होता। सवाल उठता है कि फिर कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह भोपाल की घटना को धर्म विशेष से क्यों जोड़ रहे हैं? दिग्विजय सिंह, लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव, अरविंद केजरीवाल, वृंदा करात, ममता बनर्जी, असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं को ये समझना चाहिए कि अब इस देश में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के सूफीवाद से ही अमन चैन कायम हो सकता है। यदि कट्टरपंथियों को शह दी जाती रही तो फिर देश की एकता और अखंडता खतरे में पड़ जाएगी।
(एस.पी.मित्तल) (01-11-16)
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