अखिलेश की रथ यात्रा को मुलायम ने दु:खी मन से रवाना किया। खूब अपमानित हुए शिवपाल। =======================

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3 नवंबर को यूपी के सीएम अखिलेश यादव की चुनावी रथ यात्रा को मुलायम सिंह यादव ने दु:खी मन से रवाना किया। लखनऊ में हुए समारोह में मुलायम ने कहा कि मैंने कहा था कि विकास नहीं बल्कि विजय यात्रा निकाली जाए, लेकिन अखिलेश ने मेरी बात नहीं मानी और विकास यात्रा ही शुरू की है। भले ही अखिलेश मेरी बात न मानते हो, लेकिन फिर भी इस रथ यात्रा की सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूं। मुलायम के संबोधन के दौरान अखिलेश यादव जिंदाबाद के नारे लगाने वालों को लताड़ते हुए मुलायम ने कहा कि आज आप लोग सत्ता में हो इसलिए चिल्ला रहे हो। मैंने पुलिस की लाठियां खाकर समाजवादी पार्टी को इस मुकाम तक पहुंचाया है। नारे लगाने वाले पुलिस की एक लाठी भी नहीं खा सकते। मुलायम ने जिस अंदाज में भाषण दिया, उससे साफ जाहिर था कि उनका मन बेहद दु:खी है, न चाहते हुए भी मुलायम अखिलेश के समारोह में शामिल हुए। इसे मुलायम की मजबूरी ही कहा जाएगा कि वह अपने साथ सपा अध्यक्ष और अपने छोटे भाई शिवपाल को लाए। शिवपाल ने अपने भाषण में कई बार अखिलेश का नाम लेकर सम्मान प्रकट किया, लेकिन अखिलेश ने अपने संबोधन में शिवपाल का नाम नहीं लिया। यानि शिवपाल को अपमानित करने की कोई कसर नहीं छोड़ी गई। समझ में नहीं आता कि इस समय यूपी में समाजवादी पार्टी और मुलायम का कुनबा किस चौराहे पर खड़ा है। सीएम अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम और चाचा शिवपाल के खिलाफ खुले आम नफरत जाहिर कर चुके हैं तो मुलायम व शिवपाल अलग से चुनावी रणनीति बना रहे हैं। सवाल उठता है कि जब यादव बंधु यूपी में महा गठबंधन बनाने जा रहे हैं तो फिर अखिलेश यादव किस हैसियत से विकास रथ यात्रा निकाल रहे हैं। अखिलेश को यह मुगालता ही होगा कि यूपी के मतदाता उनकी सरकार के कामकाज को देखते हुए वोट दे देंगे। माना कि अखिलेश में विकास करने का जज्बा है, लेकिन अखिलेश को यह भी समझना चाहिए कि यूपी में जातीय समीकरण जबरदस्त है। मुस्लिम राजनीति तो अपनी जगह है, लेकिन अगड़े, पिछड़े और यादवों का जातीय समीकरण बहुत गहरा है। अखिलेश यादव चाहे कितनी भी रथ यात्राएं निकाल ले, लेकिन यूपी के जातीय समीकरण को नहीं बदल सकते। वर्ष 2012 के चुनाव में भी समाजवादी पार्टी को इसलिए सफलता मिली कि मुलायम और शिवपाल ने जातीय समीकरण बैठा लिया था। मुलायम ने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को पीछे ढ़केलते हुए अपने पुत्र अखिलेश को सीएम बनवाया, लेकिन आज मुलायम सिंह ही सबसे ज्यादा दु:खी और परेशान है। तीन नवंबर को भी मजबूरी में यादव भाइयों को अखिलेश के समारोह में उपस्थिति देनी पड़ी। सबसे बुरी दशा शिवपाल की हो रही है। विगत दिनों ही शिवपाल सहित 4 मंत्रियों को अखिलेश ने बर्खास्त कर दिया। इस बर्खास्तगी के बाद भी शिवपाल को 3 नवंबर को अखिलेश के समारोह में जाना पड़ा। अब देखना है कि शिवपाल कब तब अपमानित होते रहेंगे।
(एस.पी.मित्तल) (03-11-16)
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