अजमेर की कायड़ विश्राम स्थली पर ही होगा जमीयत का राष्ट्रीय अधिवेशन। अजमेर प्रशासन को देनी ही पड़ेगी अनुमति। तैयारियां शुरू। यह है जमीयत का प्रभाव। ======================

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जमीयत उलेमा ए हिंद के कार्यकर्ताओं ने अजमेर की कायड़ विश्राम स्थली पर राष्ट्रीय अधिवेशन की तैयारियां शुरू कर दी है। यह अधिवेशन 11,12 व 13 नवम्बर को होना है। जयपुर की कंपनी बड़े पैमाने पर टेन्ट लगाने का काम कर ही है। इसके साथ ही राजस्थान और देशभर से लोगों को शामिल करने के लिए व्यापक प्रचार प्रसार किया जा रहा है। जमीयत की यह तैयारियां तब हो रही है जब जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर अधिवेशन की मंजूरी देने से इंकार कर दिया। इतना ही नहीं कलेक्टर के इंकार के बाद दरगाह कमेटी के नाजिम ले.कर्नल मंसूर अली खान ने भी पूर्व में जारी अनुमति को निरस्त कर दिया। इसे जमीयत का प्रभाव ही कहा जाएगा कि बिना किसी अनुमति के कायड़ विश्राम स्थली पर राष्ट्रीय अधिवेशन की तैयारियां शुरू कर दी गई है। हालांकि विश्राम स्थली के रख रखाव का जिम्मा दरगाह कमेटी का है, लेकिन दरगाह कमेटी का कोई कारिन्दा जमीयत के कार्यकर्ताओं को रोकने की स्थिति मेें नहीं है। जिस तरह से जमीयत ने तैयारियां शुरू की हैं, उससे साफ जाहिर है कि राष्ट्रीय अधिवेशन 11,12 और 13 नवम्बर से कायड़ विश्राम स्थली पर ही होगा। जहां तक जिला प्रशासन की अनुमति का सवाल है तो प्रशासन को अनुमति देनी ही पड़ेगी। भले ही यह अनुमति सशर्त दी जाए और जब प्रशासन अनुमति देगा तो दरगाह कमेटी भी चुपचाप अनुमति का पत्र जमीयत के प्रतिनिधियों को दे देगी। असल में जमीयत से देशभर के लाखों मुसलमान जुड़े हुए हैं। यहीं वजह रही कि जमीयत के प्रमुख मौलाना अशरद मदनी ने दिल्ली और जयपुर में बैठे बड़े भाजपा नेताओं से संवाद किया और दो टूक शब्दों में कहा कि अधिवेशन तो निर्धारित तिथियों पर अजमेर की कायड़ विश्राम स्थली पर ही होगा। जमीयत के देशव्यापी प्रभाव को देखते हुए ही केन्द्र और राजस्थान की भाजपा सरकार ने अजमेर के जिला कलेक्टर को आवश्यक निर्देश जारी कर दिए हैं। यहीं वजह रही कि जमीयत के प्रदेश महासचिव अब्दुल वाहीद खत्री ने जो नया आवेदन कलेक्टर को दिया है, उस पर पुलिस से रिपोर्ट मांगी गई है। इस आवेदन में भरोसा दिलाया गया है कि तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में पूरी तरह शांति बनी रहेगी।
मशायख बोर्ड ने जताया विरोध :
2 नवम्बर को ऑल इंडिया उलेमा मशायख बोर्ड के प्रमुख सलमान चिश्ती के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल ने जिला पुलिस अधीक्षक डॉ.नितीनदीप ब्लग्गन से मुलाकात की। प्रतिनिधि मंडल ने जानना चाहा कि जब जिला प्रशासन ने मंजूरी नहीं दी हैं तो फिर कायड़ विश्राम स्थली पर जमीयत अधिवेशन की तैयारियां कैसे चल रही है? बोर्ड ने केन्द्र सरकार के अधीन काम करने वाली दरगाह कमेटी की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाया। चिश्ती ने आरोप लगाया कि जमीयत के कार्यकर्ता अनाधिकृत तौर पर विश्राम स्थली पर टेन्ट आदि लगवा रहे है। एसपी से मांग की गई है कि जमीयत की तैयारियों को तत्काल प्रभाव से रोका जाए। इसके साथ ही बोर्ड ने जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि किसी भी शर्त पर अजमेर में जमीयत के अधिवेशन की मंजूरी नहीं दी जाए। चिश्ती ने कहा कि अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है और दरगाह में सामान्य दिनों में भी बड़ी संख्या में गैर मुसलमान जियारत के लिए आते हैं। चूंकि 11 नवम्बर से ही 5 दिवसीय पुष्कर मेला भी शुरू हो रहा है इसलिए मेले में आने वाले हजारों श्रद्धालु दरगाह में जियारत के लिए भी आएंगे। चिश्ती ने प्रशासन को बताया कि जमीयत में ऐसी विचारधारा के लोग भी हैं जो खानकाहों व दरगाहों को महत्व नहीं देते हैं जबकि अजमेर पूरी दुनिया में साम्प्रदायिक सद्भावना की मिसाल माना जाता है।
(एस.पी.मित्तल) (02-11-16)
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