छात्र राजनीति से ही द्वेषता रखते हैं सुरेन्द्र सिंह शेखावत। मेयर धर्मेन्द्र गहलोत ने बयानों में बताई भाजपा की राजनीति। मेयर प्रकरण में 21 नवम्बर तक फैसले की उम्मीद।

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अजमेर के बहुचर्चित मेयर चुनाव के प्रकरण में 9 नवम्बर को अजमेर के एडीजे संख्या एक जयप्रकाश शर्मा की अदालत में मेयर धर्मेन्द्र गहलोत के बयान हुए। इस प्रकरण में सुनवाई हाईकोर्ट के निर्देश पर फटाफट हो रही है। 17 नवम्बर को अब तक हुए बयानों पर पक्ष-विपक्ष की बहस होगी। चूंकि हाईकोर्ट के निर्देश के मुताबिक छह माह की अवधि 21 नवम्बर को समाप्प्त हो रही है,इसलिए उम्मीद है कि फैसला भी हो जाए। 9 नवम्बर को गहलोत के बयानों में भाजपा की राजनीति भी सामने आ गई। गहलोत ने अपने बयानों में यह माना कि मेयर चुनाव के पराजीत उम्मीदवार सुरेन्द्र सिंह शेखावत भाजपा से ही जुड़े रहे हैं, लेकिन शेखावत छात्र राजनति से ही उनके प्रति द्वेषता रखते हैं। जब वे राजकीय महाविद्यालय में विद्यार्थी परिषद में सुक्रिया थे तो शेखावत ने भाजपा में होते हुए भी एसडब्ल्यूओ संगठन बनाया और छात्र संघ चुनाव में चुनौती दी। वर्ष 2005 में जब नगर परिषद के सभापति का चुनाव मैंने भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर लड़ा तो शेखावत ने पर्दे के पीछे से सुभाष खंडेलवाल को मेरे सामने भाजपा का बागी उम्मीदवार बनवा दिया। इससे पहले भी उप सभापति के चुनाव में भी शेखावत मेरे प्रतिद्वंदी रहे। गहलोत ने कहा कि यह आरोप गलत है कि महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती अनिता भदेल ने मेयर चुनाव की प्रक्रिया में मेरे पक्ष में कोई दबाव बनाया। सब जानते हैं कि श्रीमती भदेल ने शेखावत को भाजपा का उम्मीदवार बनवाने की पैरवी की थी। गहलोत ने कहा कि मेयर चुनाव की प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ संपन्न हुई है। निर्वाचन अधिकारी हरफूल सिंह यादव ने नियमों के मुताबिक मतदान करवाया और फिर लॉटरी की पर्ची निकाली। जहां तक चुनाव स्थल पर मोबाइल का उपयोग करने का सवाल है तो स्वयं शेखावत ने भी विधिक जानकारी के लिए मोबाइल का उपयोग किया था। चूंकि शेखावत शुरू से ही उनके प्रति राजनीतिक द्वेषता रखते हैं, इसलिए मेयर चुनाव को लेकर भी यह याचिका दायर की गई है। जहां तक व्यक्तिगत संबंधों का सवाल है तो शेखावत से मेरे संबंध अच्छे हैं। अदालत के बाहर हम दोनों के बीच मित्रतापूर्ण व्यवहार होता है।
मालूम हो कि गत वर्ष हुए मेयर चुनाव में गहलोत भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार थे, जबकि शेखावत ने भाजपा के बागी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा। चूंकि शेखावत को कांग्रेस ने समर्थन दे दिया था, इसलिए 60 पार्षद मतों में से दोनों को तीस-तीस मत मिले। इसके बाद लॉटरी की पर्ची से गहलोत को मेयर घोषित किया गया। पराजित उम्मीदवार शेखावत ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि चुनाव की प्रक्रिया निर्धारित नियमों के तहत नहीं हुई और लॉटरी की पर्ची दूसरी बार निकाल कर गहलोत को विजय घोषित किया गया। जबकि पहली बार निर्वाचन अधिकारी यादव ने जो पर्ची उठाई थी वह मेरे नाम की थी। शेखावत ने अपनी याचिका में चुनाव परिणाम को रद्द करने की मांग की है।
अदालत में जमा है वीडियोग्राफी:
एक वर्ष पहले हुए मेयर चुनाव के दौरान जो वीडियोग्राफी करवाई गई थी, उसकी सीडी अदालत में सुरक्षित है। कानून के जानकारों के अनुसार न्यायाधीश शर्मा फैसला लिखने से पहले वीडियोग्राफी को भी देख सकते हैं। इस वीडियोग्राफी से यह पता चला जाएगा कि निर्वाचन अधिकारी ने लॉटरी की पर्ची एक ही बार निकाली या दो बार।

(एस.पी.मित्तल) (10-11-16)
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