सचिन पायलट की प्रतिष्ठा के अनुरूप अजमेर में नहीं जुटे कांग्रेसी। नोटबंदी के खिलाफ आम लोगों की भागीदारी भी नहीं हुई।

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सचिन पायलट की प्रतिष्ठा के अनुरूप अजमेर में नहीं जुटे कांग्रेसी। नोटबंदी के खिलाफ आम लोगों की भागीदारी भी नहीं हुई।
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24 नवंबर को कांग्रेसियों ने राजस्थान भर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नोटबंदी के खिलाफ जन आक्रोश मार्च निकाला। अजमेर का मार्च इसलिए खास था कि इसका नेतृत्व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने स्वयं किया। वैसे ही अजमेर पायलट का निर्वाचन क्षेत्र है, लेकिन 24 नवंबर को मार्च में सचिन पायलट की प्रतिष्ठा के अनुरूप कांग्रेसी नहीं जुट पाए। भीड़ का आंकलन करने वालों के अनुसार जिले भर से मुश्किल से दो हजार कांग्रेसी ही आए। यदि राह चलते लोगों को भी शामिल कर लिया जाए तो यह संख्या 3 हजार से भी अधिक नहीं आंकी जा सकती। कांगे्रस के नेता 3 हजार की संख्या से खुश हो सकते हैं, लेकिन इस संख्या को पायलट की प्रतिष्ठा के अनुरूप नहीं माना जा सकता। हालांकि पूर्व कांग्रेसियों ने 10 हजार लोगों के आने का दावा किया था।
आम लोगों की भागीदारी भी नहीं
कांग्रेस संसद से लेकर सड़क तक चिल्ला-चिल्ला कर कह रही है कि नोटबंदी की वजह से आम लोगों में गुस्सा है। लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ सड़कों पर उतर रहे हैं, लेकिन 24 नवंबर को अजमेर में कांग्रेस ने जो जन आक्रोश मार्च निकाला, उसमें आम लोगों की भागीदारी नहीं रही। यह माना कि नोटबंदी से आम व्यक्ति परेशान है, लेकिन अभी ऐसे हालात नहीं बने हंै जिनमें सरकार के इस फैसले के विरूद्व आम व्यक्ति सड़क पर आए। इस बात का एहसास 24 नवंबर को कांग्रेस को भी हो गया होगा।
नेताओं में खींचतान
सचिन पायलट की मौजदूगी के बाद भी अजमेर के कांग्रेस के नेताओं में खींचतान देखी गई। देहात कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह राठौड़ अपनी युवा टीम के सहयोग से जितने लोगों को ला सकते थे, उतनों को ले आए। हालांकि जिला प्रभारी प्रमोद जैन ने पूर्व विधायकों और वरिष्ठ नेताओं को हिदायत दी थी, लेकिन इस हिदायत का नेताओं पर कोई असर नहीं पड़ा। पायलट को दिखाने के लिए ऐसे नेता आगे आते रहे, लेकिन देहात अध्यक्ष राठौड़ को इस सच्चाई का पता है कि जिले के बड़े नेताओं ने भीड़ जुटाने में अपेक्षित सहयोग नहीं किया। इसी प्रकार शहर में भी अध्यक्ष विजय जैन ही कांग्रेसियों को एकत्रित करने मेें जुटे रहे। यहां तक कि जैन को दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से भी अपेक्षित सहयोग नहीं मिला। राठौड़ के मुकाबले जैन के सामने एक समस्या नई कार्यकारिणी की भी थी। पायलट ने विगत दिनों देहात कार्यकारिणी की तो घोषणा कर दी, लेकिन शहर की कार्यकारिणी अभी तक भी अटकी पड़ी है।
(एस.पी.मित्तल) (24-11-16)
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