क्या सांवरलाल जाट के वीटो की वजह से भागीरथ चौधरी को नहीं मिला मंत्री स्तर का दर्जा? चौधरी समर्थकों में नाराजगी।
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क्या सांवरलाल जाट के वीटो की वजह से भागीरथ चौधरी को नहीं मिला मंत्री स्तर का दर्जा? चौधरी समर्थकों में नाराजगी।
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अजमेर जिले की राजनीति में जाट समुदाय का जबरदस्त दबदबा है। यही वजह रही कि गत लोकसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार सांवरलाल जाट ने कांग्रेस के उम्मीदवार और तब के केन्द्रीय मंत्री सचिन पायलट को एक लाख मतों से हरा दिया। बाद में जाट को केन्द्रीय मंत्री भी बनाया गया, लेकिन स्वास्थ्य कमजोर होने के कारण जाट को केन्द्रीय मंत्री का पद छोडऩा पड़ा। लेकिन राजस्थान की राजनीति में जाट का कितना दबदबा है इसका अंदाजा जाट के राज्य किसान आयोग का अध्यक्ष बनने से लगता है। हालांकि जाट को हटा कर नागौर के सांसद सी.आर. चौधरी को केन्द्रीय मंत्री बनाया था, लेकिन जाट समुदाय को संतुष्ट करने के लिए ही सांवरलाल जाट को भी किसान आयोग का अध्यक्ष बनाकर मंत्री स्तर की सुविधाएं दी गई हंै। अब जब 10 दिसम्बर को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार किया तो अजमेर जिले के किशनगढ़ के भाजपा विधायक भागीरथ चौधरी को भी मुख्यमंत्री के दफ्तर में बुला लिया गया। चौधरी और उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि चौधरी को राज्यमंत्री अथवा संसदीय सचिव बनाया जाएगा, लेकिन 6 नए मंत्री और 5 संसदीय सचिव बनाए जाने के बाद भी चौधरी का नाम शामिल नहीं हुआ। माना जा रहा है कि सांसद सांवरलाल जाट के वीटो की वजह से ही चौधरी मंत्री स्तर का दर्जा प्राप्त करने से रह गए। हालांकि दोनों ही जाट समुदाय से ताल्लुक रखते है, लेकिन दोनों में राजनीतिक प्रतिस्पर्धा है। सांवरलाल जाट अपने खराब स्वास्थ्य की वजह से अपने पुत्र को राजनीतिक उत्तराधिकारी बना रहे है। ऐसे में जाट यह नहीं चाहते कि अजमेर जिले की राजनीति में कोई दूसरा जाट नेता ताकतवर हो। जानकारों की माने तो जाट ने अपने वीटो पावर का उपयोग कर चौधरी को रोक दिया। अलबत्ता अजमेर जिले से भाजपा के जिन दो विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया है उनके मुकाबले में चौधरी का दावा ज्यादा सशक्त था। चौधरी दूसरी बार किशनगढ़ से भाजपा के विधायक बने हैं और राजनीति में उनकी छवि साफ सुथरी मानी जाती है। अपने विधानसभा क्षेत्र में चौधरी का निरंतर संपर्क है। किशनगढ़ भाजपा के मीडिया प्रभारी सूर्यप्रकाश शर्मा ने तो बकायदा एक बयान जारी कर कहा है कि भागीरथ चौधरी को मंत्री का दर्जा न देने से लोगों में नाराजगी है। नाराजगी दिखाते हुए ही शर्मा ने मीडिया प्रभारी के पद से इस्तीफा भी दे दिया है। हो सकता है कि किशनगढ़ में और भाजपाई भी पदों से इस्तीफा दे दें। जबकि जिन दो विधायक सुरेश सिंह रावत और शत्रुघ्न गौतम को संसदीय सचिव बनाया है वो पहली बार विधायक बने है। अब देखना है कि चौधरी को मंत्री न बनाए जाने का अजमेर जिले की भाजपा की राजनीति पर कितना असर पड़ता है। किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र जाट बहुल्य है और यहां से नाथूराम सिसोदिया कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर दो बार विधायक बन चुके हैं। पिछले 20 वर्षो से चौधरी और सिनोदिया ही एक-एक बार विधायक बन रहे है। आज भी सिसोदिया की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं है।
एस.पी.मित्तल) (12-12-16)
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