आत्मबल मिलता है हनुमान चालीस के पढऩे से। संत पाठक जी ने बताई हनुमान चालीसा की ताकत।

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आत्मबल मिलता है हनुमान चालीस के पढऩे से। संत पाठक जी ने बताई हनुमान चालीसा की ताकत।
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पुष्कर स्थित चित्रकूट धाम के संत पाठक जी महाराज ने 6 जनवरी से अजमेर शहर के शास्त्री नगर स्थित शिव मंदिर के परिसर में हनुमान चालीस पर विशेष सत्संग शुरू किया। यह सत्संग 8 जनवरी तक रोजाना दोपहर 1 से सायं 4 बजे तक चलेगा। सत्संग के पहले दिन संत पाठक ने कहा कि हनुमान चालीसा के पढऩे से जो आत्मबल मिलता है, उससे व्यक्ति बड़ी से बड़ी बाधा को पार कर लेता है। उन्होंने कहा कि जो लोग रोजाना हनुमान चालीसा पढ़ते हैं उन्हें इस बात का अनुभव है कि उनके जीवन में कितना बदलाव आया है। जो लोग हनुमान चालीस नहीं पढ़ते हैं उन्हें एक बार हनुमान चालीसा को पढ़कर यह देखना चाहिए कि आखिर इस में कितनी ताकत है।
यदि कोई व्यक्ति एक बार ध्यान लगा कर हनुमान चालीसा पढ़ेगा तो मुश्किल से तीन मिनट लगेंगे। हर व्यक्ति के पास चौबीस घंटे में से 3 मिनट तो निकल ही सकते हैं। हनुमान चालीसा किसी धार्मिक ग्रंथ की चालीस लाइनें नहीं है। बल्कि सम्पूर्ण ब्राह्मांड के ज्ञान का प्रसार है। आज पश्चिम के देश हमारे वेदों का अध्ययन कर रहे हैं। जबकि महाकवि तुलसीदास जी ने वेदों के अध्ययन के बाद ही रामायण की रचना की और रामायण के पाठ को सुंदर कांड में परिभाषित किया। सुंदरकांड का सार हनुमान चालीसा है। हनुमान चालीसा में आध्यात्म की कितनी ताकत है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि भगवान शिव ने स्वयं पहली बार रामकथा सुनाई। यही वजह है कि आज घर-घर में हनुमान चालीसा पढ़ी जाती है। चालीसा का शब्द भी पहली बार हनुमान चालीसा से शुरू हुआ। इसी के बाद दुर्गा चालीसा आदि आई। इसे चालीसा ही क्यों कहा गया? असल में हनुमान चालीसा में सर्वधर्म की झलक भी मिलती है। हिन्दू समुदाय में चालीस दिनों का खास महत्त्व हैं। परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु पर चालीस दिन का शोक रखा जाता है। हालांकि अब तो हनुमान जी के सैकड़ों नाम प्रचलन में हैं, लेकिन मूल नाम चालीसा ही हैं। पैगम्बर मोहम्मद साहब ने भी चालीस दिनों तक गुफा में रह कर इबादत की। यीशु मसीह ने भी चालीस दिन रेगिस्तान में गुजारे। बौद्ध धर्म में भी चालीस दिन का विशेष धार्मिक महत्त्व है। उन्होंने कहा कि हनुमान चालीसा के हर शब्द का खास महत्त्व है। दुनिया की हर समस्या का समाधान इन चालीस लाइनों में लिखा हुआ है। वैज्ञानिक नजरिए से भी हनुमान चालीसा आज के दौर में विशेष स्थान रखती है। जो लोग दिन में एक से अधिक बार हनुमान चालीसा पढ़ रहे हैं, उन्हें सफलता के लिए किसी पर आश्रित रहने की जरुरत नहीं है। हनुमान चालीसा से हमें ईश्वर भक्ति की तो शिक्षा देती ही है साथ ही अपने माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्य की सेवा की भावना उत्पन्न करती है। जो लोग सद्कार्य करते हुए हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हैं उनका जीवन तो स्वर्ग के समान हैं।
(एस.पी.मित्तल) (06-01-17)
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