ख्वाजा गरीब नवाज: सूफीवाद के इतिहास के आईने में पुस्तक का हुआ विमोचन। =================

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जयपुर के प्राकृत भारतीय अकादमी के सभागार में 5 जनवरी को एक समारोह हुआ। इस समारोह में उर्दू फारसी कि वयोवृद्ध विद्वान और आकाशवाणी जयपुर के पूर्व निदेशक मुस्ताक अहमद राकेश द्वारा लिखित पुस्तक ख्वाजा गरीब नवाज सूफीवाद के इतिहास के आइने में का विमोचन हुआ। पुस्तक का विमोचन करते हुए मौलाना आजाद विश्वविद्यालय जोधपुर के कुलपति प्रो. अख्तरुल वासे ने कहा कि सूफीवाद प्रेम, मोहब्बत और सद्भावना फैलाने वाली आध्यात्मिक विरासत है।
प्राकृत भारती अकादमी की निदेशक प्रो. कुसुम जैन ने सूफीवाद को आज के संदर्भ में भी प्रासांगिक बताया। शिक्षाविद् डॉ.ए.एफ.उस्मानी का मानना था कि ख्वाजा गरीब नवाज ने राजस्थान की सरजमीं को अपनी साधना स्थली बनाकर पूरे विश्व को भाईचारे का जो संदेश दिया उसको अमल में लाकर देश में समरसता का वातावरण निर्मित किया जा सकता है।
समारोह में पद्मभूषण डॉ. डी.आर.मेहता ने कहा कि सूफियों ने समाज में न केवल इस्लाम के दर्शन का प्रसार किया, बल्कि भारत की गंगा जमुनी सभ्यता को भी समृद्ध किया। उन्होंने कहा कि प्राकृत भारती सशक्त लेखन को प्रोत्साहित करते हुए सभी धर्म दर्शनों, कला और साहित्य संबंधी प्रकाश करती है। समारोह में जमाते इस्लामी के राष्ट्रीय महासचिव सलीम इंजीनियर, राजपूताना उर्दू शोध अकादमी के अध्यक्ष शाहिद जमाली तथा राजस्थान संस्कृत अकादमी की पूर्व अध्यक्ष प्रो. सुषमा सिंघवी एवं डॉ. राजेन्द्र रत्नेश भी उपस्थित हुए। समारोह के अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सरदार जसबीर सिंह ने कहा कि सिक्ख गुरुओं ने संतों और सूफियों का समान रूप से आदार किया। इसीलिए हिन्दू संतों और इस्लामी सूफियों के वचन गुरुबाणी में मिलते हैं। समारोह में पुस्तक के लेखक मुश्ताक अहमद राकेश ने कहा कि उन्होंने ख्वाजा साहब के जीवन का विस्तृत अध्ययन करने के बाद ही पुस्तक को लिखा है। यह पुस्तक ख्वाजा साहब के चहाने वालों के लिए खास होगी। पुस्तक में सूफीवाद का भी विस्तार से विवरण किया गया है। इस पुस्तक के संबंध में अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9414041782 पर प्रकाश भंडारी से ली जा सकती है।
(एस.पी.मित्तल) (07-01-17)
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