हाईकोर्ट का फैसला लागू हुआ तो अजमेर अपने आप स्मार्ट हो जाएगा। सबसे पहले भाजपा के नेताओं की होटलों और कॉम्प्लेक्स पर हो कार्यवाही। =========

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हाईकोर्ट का फैसला लागू हुआ तो अजमेर अपने आप स्मार्ट हो जाएगा।
सबसे पहले भाजपा के नेताओं की होटलों और कॉम्प्लेक्स पर हो कार्यवाही।
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अजमेर राजस्थान के उन छह बड़े शहरों में शामिल है, जहां हाईकोर्ट का फैसला लागू होना है। 12 जनवरी को हाईकोर्ट ने शहरों में बढ़ते अतिक्रमणों और अवैध निर्माणों पर सख्त फैसला दियाहै। यदि अजमेर में इस फैसले को लागू किया जाता है तो अजमेर शहर अपने आप स्मार्ट सिटी बन जाएगा। इस समय स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं। स्मार्ट सिटी कैसे बनेगी इसके लिए भी एक कंपनी को 22 करोड़ रुपए दिए जा रहे हैं। जबकि हाईकोर्ट ने तो यह मुफ्त में बता दिया है कि अजमेर को कैसे स्मार्ट बनाया जाए। आदेश के अनुरूप नगर निगम शहरभर के फुटपाथों से अतिक्रमण हटवा दें और होटलों व कॉम्प्लेक्स में पार्किंग स्थल बना दें तो अजमेर अपने आप स्मार्ट लगेगा। हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि आवासियों कॉलोनियों में किसी भी प्रकार के व्यावसायिक निर्माण को मंजूरी नहीं दी जाए। निजी स्तर पर बनाईगई आवासीय कॉलोनियों में तो व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स बने ही हैं। साथ ही अजमेर विकास प्राधिकरण की आवासीय कॉलोनियों में भी शो रूम, दुकानें धड़ल्ले से चल रही हैं। शर्मनाक बात तो है कि प्राधिकरण के भ्रष्ट अधिकारी अपनी ही आवासीय कॉलोनियों में व्यवसायिक निर्माण को मंजूरी दे रहे हैं। जबकि प्राधिकरण जब अपनी कोई योजना बनाता है तो व्यवसायिक भूमि का निर्धारण अलग से किया जाता है। आवासीय और व्यवसायिक भूमि की दरों में भी अंतर होता है। अब यदि आवासीय भूखंडों को व्यवसायिक में बदला जाएगा तो फिर प्राधिकरण के व्यवसायिक भूखंड कौन खरीदेगा? प्राधिकरण के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा को चाहिए कि हाईकोर्ट के आदेशों की पालना करते हुए आवासीय कॉलोनियों में व्यवसायिक निर्माणों को तत्काल प्रभाव से ध्वस्त करें और जिन अधिकारियों ने रिश्वत लेकर आवासीय भूखंड को व्यवसायिक किया है, उनके विरुद्ध एसीबी में मुकदमा दर्ज करवाएं। इसी प्रकार नगर निगम के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत को भी शहरी क्षेत्र में उन होटलों और कॉम्प्लेक्स मालिकों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करनी चाहिए, जिन्होंने पार्किंग स्थलों का इंतजाम नहीं किया है। मेयर गहलोत यह अच्छी तरह जानते हैं कि ऐसे होटल और कॉम्प्लेक्स भाजपा के नेताओं के भी हैं। गहलोत कई बार ऐसे नेताओं की ओर इशारा भी कर चुके हैं। गहलोत को यह भी पता है कि कुछ होटलों के पार्किंग स्थलों में रेस्टोरेंट खोल दिए गए हैं और अब ग्राहकों के वाहन सड़क पर खड़े होते हैं। यदि शिव शंकर हेड़ा और धर्मेन्द्र गहलोत मिलकर हाईकोर्ट के आदेश की क्रियान्वित करेंगे तो फिर जिला कलेक्टर गौरव गोयल को अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने की जरुरत नहीं पड़ेगी। आज हालात इतने खराब हैं कि सड़कों पर चलना भी मुश्किल है।
एस.पी.मित्तल) (13-01-17)
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