तो कश्मीर के अलगाववादी आमिर खान पर क्यों नहीं जताते एतराज? आखिर जायरा को क्यों मांगनी पड़ी माफी?

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कश्मीर घाटी में मुस्लिम बालिकाओं की स्थिति कैसी है इसका अंदाजा 16 वर्षीय जायरा वसिम से लगाया जा सकता है। जायरा ने आमिर खान की फिल्म दंगल में गीता फोगाट के बचपन का किरदार निभाया था। इससे जायरा को जो शोहरत मिली, उसकी वजह से पूरे देश में जायरा को रोल मॉडल माना गया। शोहरत की वजह से ही जम्मू कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती ने भी जायरा को मिलने के लिए बुलाया। लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि अब जायरा वसीम ने सोशल मीडिया पर माफी मांगी है। जायरा ने बगैर किसी का नाम लिए कहा कि मुझे रोल मॉडल समझना उनकी बेइज्जती होगी और उनकी बेज्जती हम सब की बेइज्जती होगी। जायरा ने महबूबा मुफ्ती से अपनी मुलाकात को भी गलत ठहरा दिया। कहा जा रहा है कि जायरा के माफीनामे के पीछे कश्मीर के अलगावादियों का दबाव है। अलगाववादी पहले ही घाटी में लड़कियों के स्कूल जलाते रहे हैं। कोई मुस्लिम लड़की फिल्मों में काम करे, यह अलगाववादियों को पसंद नहीं है। सवाल उठता है कि जायरा वसीम के साथ-साथ अभिनेता आमिर खान पर एतराज क्यों नहीं जताया जाता? आमिर भी तो फिल्मों में काम करते हैं। यदि अलगाववादियों की नजर में लड़कियों का फिल्मों में काम करना बुरा है तो फिर पुरुषों के लिए भी ऐसा ही मापदण्ड होना चाहिए। अलगाववादी जो दबाव जायरा पर बना रहे हैं वैसा ही दबाव आमिर खान पर भी बनना चाहिए। यह तो अच्छा हुआ कि दंगल फिल्म के निर्देशक और अभिनेता दोनों ही आमिर खान है। यदि जायरा वसीम की फिल्म का हीरो आमिर की जगह कोई दूसरा होता तो जायरा की मुसीबत और बढ़ जाती। इस समय भले ही जम्मू कश्मीर की सीएम की कुर्सी पर महिला विराजमान हो लेकिन जायरा की कहानी बताती है कि मुस्लिम लड़कियों को किस दौर से गुजरना पड़ रहा है।
(एस.पी.मित्तल) (17-01-17)
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