कलेक्टर की अध्यक्षता वाली कमेटी ही चलाएगी ब्रह्मा मंदिर का काम। शांति से हो गया षोडशी का भंडारा। ======================

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कलेक्टर की अध्यक्षता वाली कमेटी ही चलाएगी ब्रह्मा मंदिर का काम। शांति से हो गया षोडशी का भंडारा।
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पिछले कई दिनों से अजमेर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्रों में पुष्कर के विश्वविख्यात ब्रह्मा मंदिर में होने वाली षोडशी की रस्म को लेकर खबरें प्रकाशित हो रही थी कि दिवंगत महंत सोमपुरी की समाधि पर 27 जनवरी को जब महानिर्वाणी अखाड़े के संत षोडशी की रस्म करेंगे तो भारी हंगामा होगा, लेकिन 27 जनवरी को न केवल षोडशी का धार्मिक आयोजन शांतिपूर्वक तरीके से संपन्न हुआ बल्कि अखाड़े के प्रमुख संत रविन्द्र पुरी, यमुना पुरी और रामस्वरूप ने अजमेर के कलेक्टर गौरव गोयल, एसपी डॉ. नितिनदीप ब्लग्गन और पुष्कर नगर पालिका के अध्यक्ष कमल पाठक के साथ एक संयुक्त प्रेस कान्फ्रेंस की। अखाड़े के साधु संतों ने कहा कि महंत का मामला अब अदालत में चला गया है। ऐसे में अखाड़े की ओर से किसी को महंत घोषित करना उचित नहीं होगा। अदालत जो निर्णय देगी, उसके अनुरूप ही महंत की नियुक्ति होगी तब तक सरकार ने कलेक्टर की अध्यक्षता में जो पांच सदस्य कमेटी बनाई गई, वह ही ब्रह्मा मंदिर का काम चलाएगी।
पालिका अध्यक्ष और कलेक्टर की रही भूमिका
27 जनवरी को षोडशी की रस्म को लेकर ब्रह्मा मंदिर में सुबह से लेकर ही माहौल गरमाया हुआ था, बड़ी संख्या में पुलिस जवान मंदिर परिसर में तैनात थे। महानिर्वाणी अखाड़े से जुड़े साधु-संतों ने दिवंगत महंत सोमपुरी की समाधि पर धार्मिक अनुष्ठान किए। सभी को उम्मीद थी कि अनुष्ठान के बाद नए महंत की घोषणा की जाएगी। लेकिन अनुष्ठान की समाप्ति के तुरंत बाद कलेक्टर, एसपी और पालिका अध्यक्ष ब्रह्मा मंदिर आए और अखाड़े से जुड़े चार प्रमुख संतों को अपने साथ सरकारी वाहनों में बैठाकर अज्ञात स्थान पर ले गए। कोई दो घंटे बाद इन संतों ने वो ही बोला जो कलेक्टर, एसपी और पालिकाध्यक्ष ने रटाया। जानकारी के अनुसार अखाड़े के संतों को संतुष्ट करने में कलेक्टर गोयल और पालिकाध्यक्ष पाठक की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
प्रज्ञानपुरी नाराज
अखाड़े से जुड़े और महंत पद के दावेदार प्रज्ञानपुरी अब नाराज हो गए हैं। प्रज्ञानपुरी का कहना है कि महानिर्वाणी अखाड़े को षोडशी की रस्म पर ही नए महंत की घोषणा करनी चाहिए थी। उन्होंने आरोप लगाया कि अखाड़े के कुछ साधु संत सरकार के साथ मिल गए हैं। वहीं बाहर से आए साधु संतों ने भी दक्षिणा में मात्र 50 रुपए मिलने पर एतराज जताया।
महंत की नियुक्ति का मामला अटका
27 जनवरी को जिस तरह से षोडशी की रस्म शांतिपूर्ण तरीके से निपट गई, उससे अब महंत की नियुक्ति का मामला अटक गया है। भले ही अखाड़े की ओर से महंत की घोषणा नहीं की गई हो, लेकिन पहले ही कई गुटों ने अपना-अपना महंत घोषित कर दिया। ऐसे महंत सिर्फ नाम के ही महंत है क्योंकि कोई भी घोषित महंत मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकता। अब चूंकि महंत का मामला अदालत में चला गया है। इसलिए अदालत सभी पक्षों को सुनने के बाद ही कोई निर्णय देगी। महंत की गद्दी पाने के लिए कितने लोग लाइन में लगे हुए हैं, यह ब्रह्माजी ही जानते हैं।
एस.पी.मित्तल) (27-01-17)
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