तो क्या मुसलमानों के वोट के खातिर भाजपा से परहेज वाला बयान दिया मायावती ने। =====================

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14 फरवरी को कानपुर में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि यदि उन्हें पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो वे विपक्ष में बैठेंगी, लेकिन भाजपा के समर्थन से कभी भी सरकार नहीं बनाएंगी। मायावती ने यह भी कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन कर वे मुस्लिम धर्मगुरुओं और समर्थन देने वाले धर्म निरपेक्ष लोगों का सिर नहीं झुकाएंगी। कहा तो यही जाता है कि राजनीति में कोई स्थायी शत्रुता नहीं होती और फिर मायावती तो पूर्व में भी भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बन चुकी हैं। चुनाव के परिणाम के बाद हालात क्या हों, इसके बारे में अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता, लेकिन इतना जरूर है कि यदि मायावती भाजपा से परहेज वाला बयान नहीं देंगी तो फिर मुसलमानों के वोट भी नहीं मिल पाएंगे। कोई राजनीतिक दल माने या नहीं, लेकिन यूपी का पूरा चुनाव मुस्लिम राजनीति पर केन्द्रीत हो गया है। जो नेता भाजपा को जितनी ज्यादा गालियां देगा वो नेता उतना ही बड़ा मुस्लिम अथवा धर्म निरपेक्ष नेता कहलाएगा। मायावती के साथ-साथ सपा और कांग्रेस भी मुसलमानों के वोट लेने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। वहीं भाजपा को यह अच्छी तरह पता है कि उसे मुसलमानों के वोट नहीं मिलेंगे, इसलिए भाजपा का यह प्रयास है कि मुसलमानों के वोट बसपा और सपा में विभाजित हो जाएं। भाजपा मुस्लिम मतदाताओं के विभाजन में ही अपनी जीत तलाश रही है तो मायावती बार-बार मुसलमानों से कह रही हंै कि यदि सारे वोट बसपा को नहीं मिले तो भाजपा की जीत हो जाएगी। वहीं आजम खान मुसलमानों के वोट एकमुश्त सपा को दिलवाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। सवाल यूपी के विधानसभा के चुनाव का ही नहीं है बल्कि देश के हालात का है। आखिर देश के सबसे बड़े राज्य का चुनाव मुस्लिम राजनीति पर क्यों केन्द्रित है? जब हम धर्म निरपेक्ष राष्ट्र और हिन्दू मुस्लिम भाई-भाई की बात करते हैं तो फिर चुनाव मुस्लिम मतदाताओं पर ही क्यों केन्द्रित हो रहा है। मायावती को यह क्यों कहना पड़ रहा है कि भाजपा से समर्थन लेकर मुस्लिम नेताओं का सिर झुकने नहीं दूंगी। अच्छा हो कि यूपी के चुनाव हिन्दू-मुस्लिम के बजाय मजबूत भारत के लिए हों। हिन्दू-मुस्लिम की राजनीति के चलते ही आज हम कश्मीर के परिणाम भुगत रहे हंै। जिस तरह से कश्मीर में अलगाववादियों का कब्जा हो गया है, उससे निपटने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा। अलगाववादियों के घरों में घुसकर ही आतंकवादी हमारे सुरक्षा बलों पर जानलेवा हमला करते है। यदि हमारे सुरक्षा बल कश्मीर में आतंकवादियों से मुकाबला नहीं करें तो यूपी में राजनेता कैंची की तरह जुबान नहीं चला सकते।
(एस.पी.मित्तल) (14-02-17)
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