काश! रवीश कुमार एनडीटीवी पर कश्मीर घाटी के हालातों पर भी प्राइम टाइम का प्रोग्राम करते।

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काश! रवीश कुमार एनडीटीवी पर कश्मीर घाटी के हालातों पर भी प्राइम टाइम का प्रोग्राम करते।
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24 फरवरी को दोपहर और 23 फरवरी की रात को एनडीटीवी पर रवीश कुमार का प्राइम टाइम प्रोग्राम प्रसारित हुआ। रवीश कुमार ने दिल्ली के रामजस कॉलेज की हाल ही की घटना के बारे में विस्तार से बताया। रवीश कुमार के प्रोग्राम का लब्बो लबाव यह था कि आईसा से जुड़े जो छात्र अभिव्यक्ति की आजादी पर सेमीनार करना चाहते थे, उसे एबीवीपी के छात्रों ने हंगामा और तोडफ़ोड़ कर होने नहीं दिया। सब जानते हैं कि रवीश कुमार किस नजरिए से एनडीटीवी पर एंकरिंग और रिपोर्टिंग करते हैं। भले ही कॉलेज में सेमीनार नहीं हुई हो, लेकिन रवीश कुमार ने उन सभी वक्ताओं के भाषण अपने प्राइम टाइम में दिखाए, जिन्हें सेमीनार में आमंत्रित किया गया था। इसमें जेएनयू के छात्र नेता उमर खालिद, कलाकार माया कृष्ण राव, पिजड़ा तोड़ अभियान की नेत्री सृष्टि श्रीवास्तव आदि शामिल थी। रवीश कुमार के इस प्रोग्राम पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। लेकिन मैं सोचता हंू कि काश इसी दिलेरी और तीखे तेवरों के साथ रवीश कुमार हमारे कश्मीर के हालातों पर भी रिपोर्टिंग करते। किस प्रकार घाटी में अलगाववादियों के घरों में छिपे आतंकवादी हमारे सुरक्षा बलों पर जानलेवा हमाले कर रहे हैं। रवीश कुमार ने जिस प्रकार रामजस कॉलेज में विरोध की संस्कृति की वकालत की, उसी प्रकार कश्मीर घाटी के उन बच्चों खास कर लड़कियों की भी वकालत करनी चाहिए। जिनके स्कूलों को जलाया जा रहा है, सवाल यह नहीं है कि श्रीनगर में खुलेआम पाकिस्तान के झंडे लहराए जाते हैं। सवाल यह है कि आखिर कौन सी आजादी के अंतर्गत चार लाख हिन्दुओं को घाटी से पीट-पीट कर भगा दिया गया। रवीश कुमार एनडीटीवी के दिल्ली के स्टूडियो में बैठकर अभिव्यक्ति की आजादी को खतरा बता सकते हैं, लेकिन कश्मीर में जाकर परेशान स्कूली बच्चें, भगाए गए हिन्दुओं, शहीद हो रहे जवानों के परिवारों की पीड़ा की रिपोर्टिंग नहीं कर सकते। रवीश कुमार को पत्रकारिता का लम्बा अनुभव है, लेकिन रवीश कुमार को देश के वर्तमान हालातों को भी समझना चाहिए। हो सकता है कि रवीश कुमार की पत्रकारिता से कट्टरपंथी विचारधारा के लोग खुश हो, लेकिन रवीश कुमार को यह समझना चाहिए कि भारत में उस सूफी विचार धारा के तहत लोगे भाईचारे के साथ रहते हैं जिसमें अली शाहबाज कलंदर की पाकिस्तान स्थित दरगाह में विस्फोट कर 100 मुसलमानों को मौत के घाट उतार दिया गया। रवीश कुमार अपने सभी प्रोग्राम में देशभक्ति को लेकर मजाक उड़ाते हैं। ऐसा लगता है कि जो लोग भारत के टुकड़े-टुकड़े करने के नारे लगाते हैं। रवीश कुमार उन्हें ही देशभक्त मानते हैं। जो लोग भारत की एकता और अखंडता के लिए नारे लगाते हैं, उन्हें रवीश कुमार अभिव्यक्ति की आजादी को दुश्मन मानते हैं। रवीश कुमार यह अच्छी तरह समझलें कि वे उमर खालिद, माया कृष्ण राव, सृष्टि श्रीवास्तव जैसों की वकालत तभी तक कर सकते हैं, जब तक हमारे जवान सीमा और देश के अंदर देशद्रोहियों से मुकाबला कर रहे हैं। रवीश कुमार को ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए, जिससे देशभक्ति कमजोर होती हो और हमारे जवानों का मनोबल गिरता हो।
(एस.पी.मित्तल) (24-02-17)
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