ख्वाजा साहब की दरगाह में हो रहा है चांद पर घमासान।

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ख्वाजा साहब की दरगाह में हो रहा है चांद पर घमासान।
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अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में चांद दिखने और न दिखने की घोषणा को लेकर इन दिनों जोरदार घमासान हो रहा है। प्रतिमाह चांद दिखने की घोषणा करने वाली हिलाल कमेटी तो इस्तीफा देने को तैयार है। मुस्लिम परंपराओं के अनुसार मुस्लिम माह की शुरुआत हिलाल कमेटी की घोषणा पर ही होती है। गत 27 फरवरी को हिलाल कमेटी के सदर और शहर काजी मौलाना तौसिफ अहमद सिद्दीकी ने घोषणा की कि आसमान में चांद नहीं दिखा है और न ही चांद दिखने की कोई गवाही आई है। इसलिए अब जमादि उस्मानी माह की पहली तारीख एक मार्च से मानी जाएगी। इस घोषणा के साथ ही ख्वाजा साहब की दरगाह के खादिमों ने जमादि उस्मानी माह के दिनों का हिसाब लगाकर यह घोषणा कर दी ख्वाजा सहाब के सलाना उर्स में का झंडा 25 मार्च को चढ़ेगा। चूंकि ख्वाजा साहब का छह दिवसीय उर्स जमादिउस्मानी माह के बाद आने वाले रजब माह की पहली से लेकर छह तारीख तक मनाया जाता है, इसलिए देशभर में जमादिउस्मानी माह की घोषणा का प्रभाव पड़ा। खादिम समुदाय ने लाखों मेहमानों को यह भी सूचना भिजवा दी कि सालाना उर्स 5 अप्रैल से शुरू होगा। लेकिन विवाद तब हुआ जब अजमेर के शहर काजी और हिलाल कमेटी के अध्यक्ष मौलाना तौसिफ के पास अहमदाबाद की हिलाल कमेटी के अध्यक्ष और वहां के शहर काजी मौलाना शब्बीर ने सूचना भिजवाई की अहमदाबाद में 27 फरवरी को ही चांद दिख गया है इसलिए जमादिउस्मानी माह की शुरुआत 28 फरवरी से ही मानी गई है। अहमदाबाद से आई सूचना के बाद अजमेर के शहर काजी ने भी यह मान लिया कि चांद रात 27 फरवरी को हो गई है। इसकी बकायदा घोषणा भी कर दी गई। 28 फरवरी को हुई इस घोषणा पर दरगाह के अनेक खादिमों ने ऐतराज किया। ऐतराज के दौरान ही शहर काजी मौलाना तौसिफ के खिलाफ प्रदर्शन भी किया गया। खादिमों के इस व्यवहार से शहर काजी इतने दु:खी हुए कि उन्होंने अब अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी है। मौलाना तोसिफ का कहना है कि ऐसा कई बार हुआ है जब चांद दिखने की सूचना आने पर एक दिन पहले के फैसले को पलटा गया है। 28 फरवरी को भी उनके पास अहमदाबाद के शहर काजी की सूचना आई थी, इसलिए उन्होंने अपना फैसला पलटा। उन्होंने माना कि फैसला पलटने से ख्वाजा साहब के उर्स पर भी असर पड़ा है। लेकिन मुस्लिम परंपराओं के अनुसार उन्हें अहमदाबाद के शहर काजी की सूचना पर भरोसा करना जरूरी था। लेकिन जिस तरह से उनके साथ दुव्र्यवहार किया, उसे देखते हुए वह अब हिलाल कमेटी के सदर के पद पर नहीं रहना चाहते। शहर काजी तोसिफ के साथ-साथ हिलाल कमेटी के सदस्य मौलाना मेहंदी मियां, मौलाना बशीरुल कादरी, मौलाना जाकिर, हाफिज अब्दुल्ला गफूर और हाफिज रमजान ने भी सदस्यता छोडऩे की बात कही है।
एस.पी.मित्तल) (02-03-17)
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