काश! दरगाहों में होली-दीवाली और मंदिरों में ईद का पर्व मने। कांफ्रेंसों जैसी सद्भावना जमीन पर नजर नहीं आती।

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देश में राष्ट्रीयता की भावना को बढ़ाने और शांति के उद्देश्य को लेकर 5 मार्च को अजमेर में नेशनल पीस कांफ्रेंस हुई। इस कांफ्रेंस में महत्त्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्रीश्री रवि शंकर ने अपना-अपना संदेश भेजा। दोनों ने उम्मीद जताई कि कट्टरपंथता को समाप्त कर सद्भावना का माहौल बनाने में यह कांफ्रेंस मददगार होगी। इस कांफ्रेंस का महत्व इसलिए भी था कि इसे अजमेर स्थित विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा साहब की दरगाह के दीवान और मुस्लिम धर्मगुरु जैनुअल आबेदीन अली खान चिश्ती ने आयोजित किया। दरगाह दीवान की सदारत में हुई इस कांफ्रेंस में विभिन्न दरगाहों और मंदिरों के धर्मगुरुओं के साथ-साथ धर्मो के विद्वानों ने भी भाग लिया। कांफ्रेंस के पहले सत्र में मुझे भी अपने विचार रखने का अवसर मिला। कम शब्दों में मेरा इतना ही कहना था कि धर्मो के बीच जो सद्भावना ऐसी कांफ्रेंसों में नजर आती है वैसी सद्भावना जमीन पर नहीं दिखती। दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन जैसे गिने चुने मुस्लिम धर्मगुरु है जो खुलेआम मुस्लिम आतंक के खिलाफ बोलते है। यदि दीवान आबेदीन की तरह दूसरे मुस्लिम धर्मगुरु भी आईएस जैसे आतंककारियों की आलोचना करें तो आतंकवादियों के हौसले पस्त हो सकते है। सूफी विचारधारा को मानने वाले मुस्लिम धर्मगुरु यह बात तो जानते है कि कट्टरवाद का मुकाबला सूफीवाद से ही किया जा सकता है, लेकिन जब कभी आतंकवादी आतंकी हमला करते है तो अधिकांश सूफी धर्मगुरु दरगाह दीवान आबेदीन की तरह आगे नहीं आते। कांफ्रेंस में हिन्दू और मुस्लिम धर्मगुरु इस बात से सहमत थे कि होली और दीपावली के पर्व दरगाहों में मने और ईद का जश्न मंदिरों में मनाया जाए ताकि दोनों समुदायों की युवा पीढ़ी को लगे कि दोनों में फर्क को लेकर कोई विवाद नहीं है। काश ऐसा हो जाए, यदि धर्मगुरु इन मुद्दों पर गंभीरता के साथ पहल करें तो सही मायने में देश के माहौल में काफी सुधार हो सकता है। कॉन्फ्रेंस में उपस्थित विभिन्न दरगाहों के सज्जादानशीनों ने कहा कि हिन्दू संस्कृति के फाल्गुन माह में जब होली का पर्व मनाया जाता है तब दरगाहों में बसंत का उत्सव मनता है। ब्रज भाषा में ही गीत भी गाये जाते हंै। ऐसे में दरगाहों में होली और दीपावली का पर्व मनाया जा सकता है। अब देखना है कि दरगाहों में होली-दीपावली और मंदिरों में ईद का पर्व कब मनाया जाता है।
इसलिए बिगड़े कश्मीर के हालात :
कांफ्रेंस में दरगाहों के धर्मगुरुओं ने कहा कि कश्मीर घाटी में सूफीयत का प्रभाव था तब तक हालात सामान्य थे। लेकिन जब दरगाहों में हमले हुए तो सूफीयत पर बैन लग गया। दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन ने दो टूक शब्दों में कहा कि अब कश्मीरियों का सुधरना मुश्किल है। घाटी में आईएस जैसे आतंकी संगठनों का कब्जा हो गया है। भारत सरकार को पाकिस्तान में घुस कर उन ठिकानों को नष्ट करना होगा जहां से हमारे कश्मीर में हिंसा करवाई जाती है। भारतीय फौज मात्र 2 घंटे में पाकिस्तान का सफाया कर सकती है। दीवान आबेदीन ने कहा कि मैं पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ बोलता हूं इसलिए आतंकियों की हिट लिस्ट में मेरा नाम है।
(एस.पी.मित्तल) (06-03-17)
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