तो गायत्री प्रजापति पहुंच ही गए जेल। तो अब मोदी के वायदे के अनुसार यूपी में होने लगा है शासन।

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15 मार्च को सुबह-सुबह ही यूपी के पुलिस महानिदेशक जावेद ने टीवी चैनलों पर कहा कि गैंगरेप के आरोपी पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को लखनऊ स्थित आवास से गिरफ्तार कर लिया है। दोपहर होते-होते प्रजापति को अदालत में पेश करने के बाद 14 दिनों के लिए जेल भेज दिया गया। यह वही यूपी पुलिस है, जिसे 27 फरवरी के बाद से ही प्रजापति नहीं मिले थे। हालांकि अभी यूपी में भाजपा की सरकार ने शासन नहीं संभाला है, लेकिन चुनाव के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी ने सुशासन का जो वायदा किया था, उसका असर अब होने लगा है। यूपी के डीजी जावेद भले ही गायत्री प्रजापति की गिरफ्तारी का दावा करंे, लेकिन हकीकत यह है कि 14 मार्च को जब पुलिस ने प्रजापति के बेटे अनुराग और भतीजे सुरेन्द्र को थाने बुलाकर पूछताछ की तो प्रजापति ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। भले ही पुलिस ने कागजों में 15 मार्च की सुबह गिरफ्तारी दिखाई हो। अब यह बात भी सामने आ गई है कि पूर्व सीएम अखिलेख यादव के दबाव की वजह से ही पुलिस प्रजापति को गिरफ्तार नहीं कर रही थी। चूंकि अब यूपी पुलिस को यह पता है कि अगले दो-तीन दिन में भाजपा की सरकार बन जाएगी, इसलिए पुलिस ने अभी से ही पीएम मोदी के वायदे के अनुरूप काम करना शुरू कर दिया है। इस पूरे मामले में पीडि़ता का बयान बेहद गंभीर है। पीडि़ता का कहना है कि प्रजापति और उसके साथियों द्वारा बलात्कार किए जाने तक को वह बर्दाश्त कर रही थी, लेकिन जब इन बलात्कारियों ने मेरी 14 साल की नाबालिग बेटी पर बुरी निगाह डाली तो मुझे मजबूरन पुलिस के पास जाना पड़ा। मैं नहीं चाहती थी कि मेरी बेटी भी इन दरिंदों की हवस का शिकार बने। सब जानते हैं कि अखिलेश के शासन में पीडि़ता की रिपोर्ट तक दर्ज नहीं हुई और जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से रिपोर्ट दर्ज करनी पड़ी तो प्रजापति को गिरफ्तार नहीं किया गया। यदि यूपी में भाजपा की सरकार नहीं बनती तो प्रजापति की गिरफ्तारी भी नहीं होती।
एस.पी.मित्तल) (15-03-17)
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