24 घंटे में बदल गई योगी की इमेज

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19 मार्च को यूपी के सीएम पद की शपथ लेने के साथ ही योगी आदित्यनाथ की इमेज बदल गई। 18 मार्च को जब भाजपा विधायक दल की बैठक में योगी को सर्व सम्मति से नेता चुना गया तो टी.वी. चैनलों पर सवालों की बाढ़ आ गई। बार-बार यह सवाल उठाया गया कि योगी क्या यूपी में सभी वर्ग के लोगों को साथ लेकर चल सकेंगे? कहा गया कि योगी तो सिर्फ हिन्दुओं के नेता है। पूर्व में योगी के ऐसे बयान दिखाए गए, जिसमें उनकी छवि मुस्लिम विरोधी नजर आ रही थी। चैनल वालों ने हिन्दुओं के पक्ष और मुसलमानों के विपक्ष वाले सभी बयान दिखा दिए। लेकिन 19 मार्च को सुबह से ही योगी ने मनोनीत मुख्यमंत्री के तौर पर जो काम शुरू किया, वह शाम को शपथ ग्रहण समारोह समाप्त होते-होते परवान चढ़ गया। अब वो ही चैनल वाले कह रहे हैं कि योगी ही यूपी को संभाल सकते हैं। यानि मात्र 24 घंटे में योगी की इमेज बदल गई। इसमें कोई दो राय नहीं कि 19 मार्च को सीएम की शपथ लेने के पहले ही योगी ने यूपी के डीजीपी और मुख्य सचिव को कई बार तलब किया और प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर दिशा-निर्देंश दिए। इतना ही नहीं शपथ ग्रहण वाले स्थल पर स्वयं गए और तैयारियों का जायजा लिया। योगी ने यह जांचा कि शपथ ग्रहण में जब पीएम नरेन्द्र मोदी और भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री होंगे तो कोई भी असुविधा नहीं हो। इतना ही नहीं योगी ने एक बड़ा फैसला यह भी लिया कि प्रदेश के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को मंच पर बैठाया। हालांकि मायावती समारोह में नहीं आई, लेकिन मुलायम सिंह यादव और उनके पुत्र अखिलेश यादव आए। दोनों ने ही योगी को बधाई दी और पीएम मोदी के साथ गुफ्तगू की। कहा जा रहा है कि योगी के शासन में यूपी में हिन्दू समुदाय के लोग स्वयं को सुरक्षित महसूस करेंगे। पिछले 15 वर्षों में हिन्दू समुदाय को विपरित परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। कई बार तो बेवजह मुकदमें भी दर्ज हुए। अब कहा जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ राष्ट्रवाद की भावना से यूपी का शासन और विकास करेंगे। भले ही भाजपा के 325 विधायकों में से एक भी मुस्लिम न हो, लेकिन योगी ने अपने मंत्री मण्डल में मोहसिन रजा को शामिल किया है। रजा के साथ ही स्वाति सिंह को भी राज्य मंत्री बनाया गया है। स्वाति सिंह उन्हीं दया शंकर सिंह की पत्नी हंै, जिन्होंने गत वर्ष मायावती के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी की थी। लेकिन इसके बाद जिस तरह बसपा के नेताओं ने स्वाति सिंह और उनकी बेटी को लेकर बयान दिए, उससे स्वाति सिंह रातों-रात हीरो बन गई। यदि दयाशंकर सिंह मायावती के खिलाफ टिप्पणी नहीं करते तो आज स्वाति सिंह भी मंत्री नहीं बन पाती।
एस.पी.मित्तल) (19-03-17)
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