बीकानेर में सरदार भगत सिंह की प्रतिमा को लेकर हुआ विवाद उचित नहीं।

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23 मार्च को जब पूरा देश सरदार भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव की शहादत को नमन कर रहा था, तब राजस्थान के बीकानेर में भगत सिंह की प्रतिमा को लेकर विवाद हो गया। जिन भगत सिंह ने देश की आजादी के लिए अपना बलिदान दे दिया, उन्हीं भगत सिंह की प्रतिमा को बीकानेर की पुलिस ने उखाड़ दिया। असल में एस.एफ.आई. के कार्यकर्ता लंबे अर्से से भगत सिंह की प्रतिमा लगाए जाने की मांग कर रहे थे। यह मांग बीकानेर के सांसद और केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल के समक्ष भी रखी गई। लेकिन भगत सिंह की प्रतिमा स्थापित करवाने में किसी ने भी रूचि नहीं दिखाई। इसी से नाराज होकर एस.एफ.आई. के कार्यकताओं ने 23 मार्च को जिला कलेक्ट्रेट के बाहर एक टेन्ट लगाकर सरदार भगत सिंह की प्रतिमा स्थापित कर दी। कार्यकर्ता जब कलेक्ट्रेट के बाहर टेन्ट आदि लगा रहे थे, तब तो बीकानेर की पुलिस कुंभकरण की नींद में थी, लेकिन जब मूर्ति स्थापना के बाद कार्यकर्ताओं ने शहीदे आजम के समर्थन में नारे लगाए तो पुलिस जागी और आनन-फानन में न केवल टेन्ट को उखाड़ फैंका बल्कि भगत सिंह की प्रतिमा को हटा दिया। इतना ही नहीं अनेक कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया। बीकानेर में प्रतिमा को लेकर जो विवाद हुआ, उसे किसी भी प्रकार से उचित नहीं माना जा सकता। अब जब प्रदेश और देश में भाजपा की सरकार है तो कम से कम भगत सिंह की प्रतिमा तो लगनी ही चाहिए। सत्ता में बैठे भाजपा के नेता बार-बार यह दावा करते हैं कि देश को आजादी भगत सिंह जैसे क्रान्तिकारियों की वजह से मिली है। ऐसे में यदि भाजपा के शासन में भगत सिंह की प्रतिमा लगाने के लिए कोई आन्दोलन करना पड़े तो यह सत्तारूढ़ नेताओं के लिए शर्मनाक है। बीकानेर के भाजपा सांसद मेघवाल तो बीकानेर में कलेक्टर भी रह चुके हैं। यदि बीकानेर में भगत सिंह की प्रतिमा नहीं है तो इसकी जवाबदेही मेघवाल की भी है।
(एस.पी.मित्तल) (23-03-17)
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