भगवान राम की तरह मर्यादा पुरूषोत्तम नहीं है कृष्ण, जो प्रशांत भूषण को माफ कर दें।

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भगवान राम की तरह मर्यादा पुरूषोत्तम नहीं है कृष्ण, जो प्रशांत भूषण को माफ कर दें।
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4 अप्रेल को देश के जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने अपने उस बयान पर माफी मांग ली है, जो उन्होंने भगवान कृष्ण के बारे में दिया था। हालांकि बयान के बाद प्रशांत भूषण पर देश के अनेक शहरों में एफआईआर दर्ज हो गई। लेकिन सवाल उठता है कि क्या कृष्ण पर इतनी भद्दी टिप्पणी करने के बाद प्रशांत भूषण को माफी दी जा सकती है? भारतीय संस्कृति में दो पात्र सबसे अहम हैं। एक मर्यादा पुरुषोत्तम राम तो दूसरे कर्मवीर कृष्ण। रामायण में भगवान राम का चरित्र मर्यादापूर्ण लिखा गया है जबकि गीता में कृष्ण ने कहा है कि जो जैसा कर्म करेगा, उसे वैसा ही फल मिलेगा। हम देखते हैं कि भगवान राम ने रावण के साथ युद्ध में भी मर्यादाओं का पालन किया। जबकि महाभारत के युद्ध में पाण्डवों की जीत के लिए कृष्ण ने अर्जुन का सारथी बनना भी स्वीकार कर लिया। धर्म को जिताने के लिए कृष्ण ने अधर्मियों को हर तरह से सबक सिखाया। चूंकि प्रशांत भूषण ने अधर्मियों वाला काम किया है, इसलिए उन्हें गीता के सन्देश के तहत ही सजा मिलनी चाहिए। यानि जो जैसा कर्म करेगा, उसे वैसा ही फल मिलेगा। भूषण ने कृष्ण पर मर्यादाहीन टिप्पणी कर करोड़ों धर्मप्रेमियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। माफी मांग लेने अथवा अपनी टिप्पणी ट्यूटर पर से हटा लेने से प्रशांत भूषण का अपराध कम नहीं हो जाता। जब स्वयं भगवान कृष्ण ने महाभारत के युद्ध में अधर्मियों का नाश किया तो प्रशांत भूषण को भी अपने कृत्य की सजा तो मिलनी ही चाहिए। यदि अनुभवी वकील होने के नाते प्रशांत भूषण कानूनी कार्यवाही से बच भी जाते हैं तो भगवान कृष्ण के सुदर्शन चक्र से बचना मुश्किल होगा।
एस.पी.मित्तल) (04-04-17)
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