अवैध खनन में लगे ट्रेक्टर वालों ने कहा कि अजमेर की ट्रेफिक पुलिस रिश्वतखोर है।

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अवैध खनन में लगे ट्रेक्टर वालों ने कहा कि अजमेर की ट्रेफिक पुलिस रिश्वतखोर है।
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24 मई को ट्रेक्टर ट्रॉली वालों ने शहर के प्रमुख मार्गों से रैली निकाल कर अजमेर के कलेक्ट्रेट पर जोरदार प्रदर्शन किया। करीब 300 ट्रेक्टर ट्रॉली की वजह से शहर भर की यातायात व्यवस्था बिगड़ गई। यहां तक की मरीज को ले जा रही एम्बुलैंस भी जाम में फंस गई। ट्रेक्टर ट्रॉली वालों ने आरोप लगाया कि ट्रेफिक पुलिस वाले 500-500 रुपए की वसूली रोजाना करते हैं। खुद को गरीब बताते हुए ट्रेक्टर मालिकों ने ट्रेफिक पुलिस वालों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की। ये वो ही ट्रेक्टर वाले हैं, जिन पर अवैध खनन के आरोप लगते हैं। आरोप है कि खनन विभाग और संबंधित थाना क्षेत्र की पुलिस की मिलीभगत से ट्रेक्टर वाले अवैध खनन करते हैं। जो पहाड़ी खनन के लिए नहीं दी गई, उसे भी काम में लिया जा रहा है। खनन विभाग स्वीकार करता है कि अवैध खनन लगातार हो रहा है। यहां तक कि संरक्षित वन क्षेत्र में भी खनन धड़ल्ले से हो रहा है। बीसलपुर बांध क्षेत्र तक से बजरी की चोरी की जा रही है। वैसे भी ट्रेक्टर ट्रॉली का उपयोग सिर्फ कृषि कार्य के लिए होना चाहिए। लेकिन सब जानते हैं कि इनका उपयोग बजरी, पत्थर आदि में धड़ल्ले से हो रहा है। संबंधित विभागों के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना ट्रेक्टर ट्रॉली का दुरुपयोग हो नहीं सकता। ऐसे में अजमेर की ट्रेफिक पुलिस भी पीछे क्यों रहेगी? जब ट्रेक्टर वाले खनन और संबंधित थाना क्षेत्र की पुलिस को नजराना दे सकते हैं तो ट्रेफिक पुलिस वाले प्रसाद के तो हकदार हैं ही। जब ट्रेफिक पुलिस सीटी बस, ट्रेम्पो, मालवाहक वाहन आदि से प्रतिमाह हिसाब-किताब करती है तो ट्रेक्टर ट्रॉली वालों को कैसे छोड़ सकती है? कहा तो यह भी जा रहा है कि टे्रक्टर ट्रॉली वालों का प्रदर्शन करवाने में थाना पुलिस का इशारा है। थाना पुलिस को लगता है कि जब उन्होंने नजराना ले लिया है तो ट्रेफिक पुलिस को प्रसाद की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
(एस.पी.मित्तल) (24-05-17)
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