सिक्ख युवकों की पिटाई के प्रकरण में नसीराबाद पुलिस ने पलटी खाई। सरपंच सहित तीन गिरफ्तार। सिपाही लाइन हाजिर। सफेद झूठ सीआई का प्रेस नोट।

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सिक्ख युवकों की पिटाई के प्रकरण में नसीराबाद पुलिस ने पलटी खाई।
सरपंच सहित तीन गिरफ्तार। सिपाही लाइन हाजिर। सफेद झूठ सीआई का प्रेस नोट।
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27 मई को अजमेर के एसपी राजेन्द्र सिंह चौधरी ने नसीराबाद सदर थाने के सिपाही बुद्धाराम को लाइन हाजिर किया तो नसीराबाद पुलिस ने चार सिक्ख युवकों की बेरहमी के साथ पिटाई के प्रकरण में चैनपुरा गांव के सरपचं रामदेव सिंह के साथ आरोपी सरण सिंह और राजू सिंह को गिरफ्तार कर लिया। यह वही नसीराबाद पुलिस है जिसने 24 अप्रैल को पीडि़त चारों सिक्ख युवकों को शांतिभंग के आरोप में गिरफ्तार किया था। 24 अप्रैल को जिन सिक्ख युवकों को पुलिस अपराधी मान रही थी। आज उन्हीें युवकों की सदर थाने में मिजाजपुर्सी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। हालांकि इन सिक्ख युवकों ने 24 अप्रैल को भी कहा था कि वह बेकसूर है। चैनपुरा गांव के लोगों ने बेवहज बेरहमी के साथ पीटा है। लेकिन तब इन सिक्खों की पुलिस ने एक नहीं सुनी। पिटाई का वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो राजस्थान के अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सरदार जसवीर सिंह ने प्रसंज्ञान लिया। इस मामले में आयोग ने 2 मई को अजमेर पुलिस को तलब किया है। आयोग के डंडे से घबराई पुलिस ने 27 मई को चारों सिक्खों युवकों को अलवर जिले के खैरथल कस्बे से बुलाया और दिनभर वो सब कार्यवाही की जिससे स्वयं को बचाया जा सके। अब नसीराबाद की पुलिस इस मामले में लीपापोती कर रही है। असल में 24 अप्रैल को नसीराबाद सदर थाने की पुलिस ने समझदारी के साथ काम नहीं किया। जिन लोगों ने सिक्ख युवकों की पिटाई की उनके विरुद्ध पुलिस को उसी दिन कार्यवाही करनी चाहिएथी। सवाल उठता है कि इस पूरे प्रकरण में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं हो रही? क्या सिक्ख युवकों की पिटाई के इस गंभीर प्रकरण में एक सिपाही ही जिम्मेदार है? अल्पसंख्यक आयोग को चाहिए कि वे इस मामले में गंभीरता बरते। पुलिस की 27 मई की कार्यवाही अपनी गड़बड़ी को छुपाने के लिए है। सिक्ख युवकों की पिटाई का वीडियो वायरल होने के बाद देशभर के सिक्ख समाज के लोगों में रोष व्याप्त है।
यह है मामला:
24 अप्रैल को जब पीडि़त चारों सिक्ख युवक चैनपुरा गांव में कथित गुरुद्वारे के लिए घर-धर जाकर चंदा एकत्रित कर रहे थे, तभी गांव वालों ने संदिग्ध मानते हुए बेरहमी के साथ युवकों की पिटाई की। बाद में जब इन युवकों को पुलिस को सौंपा गया तो नसीराबाद सदर थाने की पुलिस ने पीडि़तों के खिलाफ ही शांतिभंग का मामला दर्ज कर किया। बाद में एसडीएम से जमानत के बाद छोड़ा गया। यह चारों युवक अलवर जिले खैरथल कस्बे के रहने वाले हैं। इनके नाम हरपाल सिंह, कुलदीप सिंह, निर्मल सिंह व मलजीत सिंह है। हालांकि पिटाई और गिरफ्तारी में समय भी इन युवकों ने कहा कि वे अपराधी नहीं है और न ही उनके खिलाफ किसी थाने में मुकदमा दर्ज है। लेकिन न तो पीटने वालों ने और न पुलिस ने इन युवको की सुनी। कअब जब इस मामले ने तूल पकड़ लियाहै तो पुलिस बचाव की मुद्रा में है।
सफेद झूठ है सीआई लक्ष्मणा राम का पे्रस नोट:
27 मई को नसीराबाद सदर थाने के सीआई लक्ष्मणाराम ने पुलिस की ओर से जो प्रेस नोट जारी किया है, वह सफेद झूठ है। इस प्रेस नोट में चारों पीडि़त सिक्ख युवकों की ओर से कहा गया है हमने 25 अप्रैल को घटना वाले दिन रिपोर्ट इसलिए नहीं लिखवाई कि भविष्य में हमें धार्मिक कार्यों के लिए चंदा नहीं मिलेगा। लेकिन जब वीडियो वायरल हुआ तो देशभर के सिक्खों ने हमें कार्यवाही करने के लिए कहा। इसलिएआज हम थाने पर उपस्थित होकर अपनी शिकायत दे रहे हैं। सीआई लक्ष्मणाराम का यह प्रेस नोट न केवल अजूबा है बल्कि थाने की गलतियों को छुपाने वाला है। इस प्रेस नोट की एक खास बात यह भी है कि सीआई ही बता रहे है कि अब इस मामले की जांच अजमेर स्थित पुलिस परामर्श केन्द्र के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पूरण सिंह भाटी करेंगे, जबकि सच्चाई यह है कि खैरथल की पुलिस इन पीडि़तों को लेकर आज प्रात: ही नसीराबाद पहुंची। देखना है कि एक झूठ को छिपाने के लिए नसीराबाद पुलिस और कितने झूठ बोलतीे हैं।
एस.पी.मित्तल) (27-05-17)
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