तो क्या अजमेर पुलिस राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग को बेवकूफ बना रही है? चार सिक्खों की बेरहमी से पिटाई का मामला।

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तो क्या अजमेर पुलिस राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग को बेवकूफ बना रही है? चार सिक्खों की बेरहमी से पिटाई का मामला।
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अजमेर के नसीराबाद क्षेत्र के चाङ्क चैनपुरा गांव में 4 सिक्ख सेवादारों की बेरहमी से पिटाई के प्रकरण में पुलिस ने एक माह बाद जिन 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया। उन्हें अदालत ने 28 मई को जेल भेज दिया। राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हुए इस मामले में 2 जून को राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जसवीर सिंह के समक्ष सुनवाई होनी है। अब तक की अजमेर पुलिस की कार्यवाही से प्रतीत होता है कि यह अल्पसंख्यक आयोग को बेवकूफ बनाने के लिए है। नसीराबाद सदर थाने के सी.आई. लक्ष्मण राम चौधरी ने 27 मई को पीडि़त सिक्ख सेवादारों से एक रिपोर्ट ली और मात्र पांच घंटे में 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। अल्पसंख्यक आयोग ने जो प्रसंज्ञान लिया है, उसमें पुलिस की लापरवाही का सवाल भी है। लापरवाही के नाम पर पुलिस ने सिर्फ एक सिपाही बुद्धाराम को थाने से हटाया है। सवाल उठता है कि पुलिस के आला अधिकारी सदर थाने के जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं कर रहे? अल्पसंख्यक आयोग को दिखाने के लिए पुलिस लापरवाही की जांच का काम अजमेर के पुलिस परामर्श केन्द्र के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पूरण सिंह भाटी को सौंपी गई है। यानि जो पुलिस पांच घंटे में जांचकर आरोपियों को गिरफ्तार कर लेती हैं, वहीं पुलिस अपनी जांच के लिए सिर्फ एक एएसपी को नियुक्त करती है। 24 अप्रैल की घटना वाले दिन भी सिक्ख सेवादार ने सीआई लक्ष्मणाराम को रोते-बिलखते बताया था कि आरोपियों ने उनकी पगड़ी खोल दी और बाल पकड़ कर बुरी तरह पिटाई की। लेकिन तब सीआई लक्ष्मणा राम ने सिक्ख सेवादारों की एक नहीं सुनी और उल्टे शांति भंग के आरोप में सिक्खों को ही गिरफ्तार कर लिया। यदि पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल नहीं होता तो सिक्ख सेवादारों का मामला यूं ही दफन हो जाता। नसीराबाद पुलिस की लापरवाही की जांच तब तक निष्पक्ष नहीं हो सकती, जब तक सदर थाने के मौजूदा अधिकारियों को हटाया अथवा सस्पेंड नहीं किया जाता। जो पुलिस खुद आरोपी है, वह निष्पक्ष जांच होने ही नहीं देगी। असल में अभी भी इस पूरे मामले को अजमेर पुलिस बहुत हल्के में ले रही है। जबकि अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जसवीर सिंह का कहना है कि सिक्ख सेवादारों की बेरहमी से पिटाई का वीडियो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चल रही केन्द्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भेजा है। यानि अजमेर पुलिस को केन्द्र सरकार का भी डर नहीं है। जबकि आयोग अध्यक्ष जसबीर सिंह जो भी कार्यवाही करेंगे, उससे केन्द्र सरकार को भी अवगत कराया जाएगा। इस पूरे मामले में राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे को प्रसंज्ञान लेना चाहिए क्योंकि यह मामला देशभर के सिक्ख समुदाय से जुड़ा हुआ है। बताया जा रहा है कि नसीराबाद सदर थाने की पुलिस को भाजपा के एक प्रभावशाली नेता का संरक्षण प्राप्त है इसलिए अजमेर पुलिस के बड़े अधिकारी कोई कार्यवाही करने में हिचक रहे हैं। जबकि सदर थाने की घोर लापरवाही साफ-साफ उजागर है। यदि घटना के एक माह बाद गांव के सरपंच सहित 6 लोग गिरफ्तार हो सकते हैं तो फिर थाने की पुलिस के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है? चूंकि यह मामला केन्द्र सरकार तक पहुंच चुका है इसलिये मुख्यमंत्री को भी गंभीरता से लेना चाहिए।
बाज नहीं आ रही नसीराबाद पुलिस :
नसीराबाद सदर थाने की पुलिस अब उस व्यक्ति की तलाश कर रही है, जिसने सिक्ख सेवादारों की पिटाई का वीडियो पहली बार सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। पुलिस इसी व्यक्ति को दोषी मान रही है। पुलिस का कहना है कि पिटाई के वीडियो से ही मामला उजागर हुआ है। यानि नसीराबाद पुलिस तो इस गंभीर मामलों को प्रकाश में जाना ही नहीं चाहती थी। सवाल उठता है कि जिस वीडियो के आधार पर आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, वो वीडियो पुलिस की नजर में गलत कैसे हो सकता है? क्या पुलिस की पोल खोलने वाला वीडियो कानून के खिलाफ होता है।
पीडि़त सिक्ख सेवादार :
अलवर जिले के खैरतल कस्बे के हरपाल सिंह, कुलदीप सिंह, निर्भय सिंह व मगलित सिंह पीडि़त सेवादार है जबकि चाट चैनपुरा गांव के सरपंच राम सिंह रावत, श्रवण सिंह रावत, राजू सिंह रावत, मन्ना सिंह, भंवर सिंह ओर विजय सिंह इस समय अजमेर की सेन्ट्रल जेल में बंद हैं।
एस.पी.मित्तल) (29-05-17)
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