आखिर राजस्थान में स्कॉउट गाइड का नया अखाड़ा क्यों खड़ा करना चाहते हैं शिक्षा सचिव नरेश कुमार गंगवार। ==================

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राजस्थान में स्काउट गाइड का नया अखाड़ा खड़ा करने के लिए 22 जून को जयपुर में प्रदेश के शिक्षा सचिव नरेश कुमार गंगवार ने एक बैठक की। इस बैठक में प्रदेश के शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारियों के साथ-साथ उप-निदेशक स्तर के अधिकारी उपस्थित रहे। शिक्षा विभाग की यह बैठक पूरी तरह स्काउट गाइड का समानान्तर अखाड़ा बनाने पर केन्द्रित रही। गंगवार पिछले दिनों ही हिन्दुस्तान स्काउट गाइड के स्टेट कमिश्नर बने हैं। बैठक में गंगवार ने अधिकारियों को निर्देंश दिए हैं कि एसटीसी के शिक्षकों के प्रशिक्षण केन्द्रों पर हिन्दुस्तान स्काउट गाइड के कैम्प अनिवार्य रूप से लगाए जाए। ऐसे कैम्प एक सप्ताह के लिए लगते हैं, जिससे प्रशिक्षण लेने वाले शिक्षकों को स्काउट गाइड की जानकारी दी जाती है। बैठक में इस बात की भी रणनीति बनाई गई, जिससे राज्य सरकार से विशेषज्ञ अनुदान लेने और वर्तमान में जिला स्तर पर संचालित स्काउट गाइड के दफ्तरों में जगह लेने का भी निर्णय लिया गया। चूंकि स्काउट गाइड में शिक्षा विभाग की ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है, इसलिए माना जा रहा है कि गंगवार अपने शिक्षा सचिव के पद का प्रभाव काम में लेते हुए नया अखाड़ा खड़ा कर देंगे। गंगवार को केन्द्र सरकार के बड़े अधिकारियों का समर्थन प्राप्त है। इसलिए वे राजस्थान के उन अधिकारियों की परवाह नहीं कर रहे हैं, जो स्काउट गाइड से जुड़े हुए हैं। इसे गंगवार का दम ही कहा जाएगा कि वे नया अखाड़ा तब खड़ा कर रहे हैं, जब प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव जे.सी. मोहंती राजस्थान स्काउट गाइड के चीफ कमिश्नर हैं। इतना ही नहीं प्रदेश के सामाजिक न्याय और अधिकारिकता मंत्री अरूण चतुर्वेदी प्रधान हैं। संसदीय सचिव सुरेश सिंह रावत, विधायक, अजीत सिंह जैसे भाजपा के दिग्गज उप प्रधान हंै। जिला स्तर पर स्काउट गाइड में सक्रिय पदाधिकारियों के सामने असमंजस की स्थिति है। शिक्षा विभाग के किसी भी अधिकारी में इतनी हिम्मत नहीं कि वे अपने शिक्षा सचिव के निर्देंशों का उल्लंघन कर दें। गंगवार की सक्रियता प्रदेश की नौकरशाही के भी समझ में नहीं आ रही है। राज्य सरकार स्काउट गाइड को सालाना 10 करोड़ रुपए का अनुदान देती है। इस अनुदान से ही स्काउट गाइड के पदाधिकारी विदेशों के दौरे भी करते हैं। कांग्रेस के शासन में वरिष्ठ आरएएस निरंजन आर्य जब स्टेट चीफ कमिश्नर थे, तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को प्रधान बनाया गया था। लेकिन भाजपा की सरकार बनने पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने स्काउट गाइड का चीफ कमिश्नर बनने में रूचि नहीं दिखाई। लेकिन राजे की सहमति से ही चतुर्वेदी को प्रधान और मोहंती को चीफ कमिश्नर बनाया गया। चतुर्वेदी और मोहंती के समर्थकों का कहना है कि गंगवार पर अंकुश लगवाने के लिए इस मामले को सीएम के समक्ष रखा जाएगा।
एस.पी.मित्तल) (22-06-17)
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