आखिर क्यों नहीं किया जा रहा आनंदपाल का अंतिम संस्कार ? सीबीआई जांच तो कोर्ट से भी करवाई जा सकती है।

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आखिर क्यों नहीं किया जा रहा आनंदपाल का अंतिम संस्कार ? सीबीआई जांच तो कोर्ट से भी करवाई जा सकती है।
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राजस्थान के कुख्यात अपराधी आनंदपाल सिंह का एनकाउंटर 24 जून की रात को हुआ था। लेकिन 2 जुलाई की शाम तक आनंदपाल के शव का अंतिम संस्कार नहीं हो सकता है। भीषण गर्मी और उमस भरे वातावरण में शव की क्या हालत होगी, इसका अन्दाजा लगाया जा सकता है। एनकाउंटर की वजह से पहले ही आनंदपाल का शरीर गोलियों से छलनी हो चुका है और उस पर दो बार पोस्टमार्टम भी हुआ। सरकार की मंशा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2 जुलाई को जब आनंदपाल के परिजन शव को सुरक्षित करने के लिए डी-फ्रीज ले जा रहे थे तो पुलिस ने बीच रास्ते में ही रोक दिया। आनंदपाल का शव नागौर जिले के सांवरदा गांव में पैतृक मकान में रखा हुआ है। शव को बर्फ की सिल्लियों पर रखा गया है। चिकित्सकों का कहना है कि अब शव में संक्रमण हो गया है यानि कीड़े पड़ गए हैं। ऐसे में शव का अंतिम संस्कार किया जाना ही उचित है। एनकाउंटर की जांच सीबीआई से कराने की मांग को लेकर ही अभी तक शव का अंतिम संस्कार नहीं किया गया है। हालांकि राज्य सरकार ने परिजनों की मांग को अभी तक भी स्वीकार नहीं किया है, लेकिन कानून के जानकारों का मानना है कि सीबीआई की जांच तो कोर्ट के आदेश से भी करवाई जा सकती है। ऐसे अनेक उदाहरण है जब परिजनों की मांग पर हाईकोर्ट ने एनकाउंटर अथवा अन्य घटना की जांच सीबीआई से कराने के आदेश दिए हैं। भले ही सम्बन्धित राज्य सरकार ऐसी जांच से इंकार करती रही हो। आनंदपाल के परिजनों को यह भी समझना चाहिए कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं हो। जिस तरह से सरकार के मंत्रियों पर आरोप लगाए गए हैं, उससे प्रतीत होता है कि आनंदपाल के शव के ऊपर राजनीति हो रही है। राजपूत समाज के जो नेता आनंदपाल के समर्थन में विरोध प्रदर्शन और बयानबाजी कर रहे हैं, यदि वे हाईकोर्ट में वाद दायर करते तो अब तक सीबीआई जांच के आदेश हो जाते। समाज के नेताओं को राजपूत विधायक, सांसद और मंत्रियों पर दबाव डालना चाहिए। नागौर और चुरू में भले ही आनंदपाल को गरीबों को हमदर्द माना जाता हो, लेकिन कानून की नजर में आनंदपाल कुख्यात अपराधी है। उसने राजपूत समाज के लोगों को भी हत्याएं की है। भले ही हत्याओं का कारण कुछ भी हो। अब चूंकि आनंदपाल मारा जा चुका है, इसलिए सरकार की नाराजगी और गुस्से में कमी भी आनी चाहिए। आनंदपाल के जुर्म की सजा परिजनों को नहीं दी जा सकती।
(एस.पी.मित्तल) (02-07-17)
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