तो क्या किशनगढ़ का प्रशासन अलवर के यूआईटी अध्यक्ष देवीसिंह शेखावत, कांग्रेस के पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया जैसे प्रभावशाली लोगों के अतिक्रमण हटा पाएगा? 100 करोड़ की भूमि पर से 2 अगस्त तक हटाने हैं अतिक्रमण। =========

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तो क्या किशनगढ़ का प्रशासन अलवर के यूआईटी अध्यक्ष देवीसिंह शेखावत, कांग्रेस के पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया जैसे प्रभावशाली लोगों के अतिक्रमण हटा पाएगा?
100 करोड़ की भूमि पर से 2 अगस्त तक हटाने हैं अतिक्रमण।
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21 जुलाई को जयपुर स्थित हाईकोर्ट पीठ के न्यायाधीश मनीष भंडारी के समक्ष राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता धर्मवीर ठोलिया ने यह लिखकर दिया है कि अजमेर जिले के किशनगढ़ स्थित श्री रघुनाथ मंदिर की करीब 64 बीघा भूमि पर से आगामी 2 अगस्त तक सभी अतिक्रमण हटा दिए जाएंगे। अतिक्रमण से मुक्त हुई जमीन मंदिर के पुजारी परिवार को सौंप दी जाएगी। न्यायाधीश भंडारी ने मौखिक तौर पर कहा है कि अतिक्रमण हटाने में अब कोई बहाने बाजी नहीं होनी चाहिए। न्यायाधीश भंडारी ने ही 22 अप्रैल 2014 को आदेश देकर मंदिर भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए अजमेर और किशनगढ़ प्रशासन को पाबंद किया था। लेकिन भंडारी के आदेश को कानूनी पेचीदगियों में उलझाए रखा गया। अब एक बार फिर यह सवाल उठा है कि क्या प्रभावशाली लोगों के अतिक्रमण किशनगढ़ का प्रशासन हटा सकता है? अतिक्रमणकारियों की सूची में भाजपा के प्रभावशाली नेता और अलवर यूआईटी के अध्यक्ष देवी सिंह शेखावत, किशनगढ़ के पूर्व कांग्रेसी विधायक नाथूराम सिनोदिया जैसे नाम शामिल हैं। किशनगढ़ के तहसीलदार ने हाईकोर्ट में अतिक्रमणकारियों की जो सूची पेश की है, उसमें शेखावत और सिनोदिया के नाम भी शामिल हैं। मंदिर भूमि पर लगभग 80 से भी ज्यादा लोगों ने मार्बल पत्थर के गोदाम और दुकानें बना रखी हैं।
गौशाला बनाएंगे-पुजारी:
पुजारी परिवार के सदस्य और तहसील से लेकर हाईकोर्ट तक में मंदिर का पक्ष रखने वाले चन्द्र प्रकाश वैष्णव (लाला भाई) ने बताया कि राज्य सरकार ने भी अतिक्रमणकारियों के भू-रूपांतरण अथवा भूमि नियमन के सभी आवेदन खारिज कर दिए हैं। अब अतिक्रमणकारियों और किशनगढ़ के तहसीलदार अरविंद शर्मा के पास ऐसा कोईबहाना नहीं बचा है, जिसकी वजह से हमारे मंदिर की भूमि पर से अतिक्रमण हटाने को टाला जा सके। अब यदि 2 अगस्त तक हमारी 64 बीघा भूमि पर से अतिक्रमण नहीं हटाए गए तो यह हाईकोर्ट के आदेशों की अवमानना होगी। वैष्णव ने कहा कि हाईकोर्ट ने मंदिर की भूमि को कृषि भूमि माना है। इसलिए हमारा परिवार भी इस भूमि का कोई व्यावसायिक उपयोग नहीं करेगा। हमारे परिवार की इच्छा है कि इस भूमि पर गौशाला खोली जाए। इस गौशाला में बीमार और असहाय गायो को रखा जाएगा। हम श्री रघुनाथ भगवान के मंदिर को भी नया बनाएंगे। अभी हमारा मंदिर जर्जर अवस्था में है। वैष्णव ने बताया कि गत वर्ष जिला कलेक्टर ने अतिक्रमण हटाने के लिए किशनगढ़ के उपखंड अधिकारी को नोडल अधिकारी तथा तहसीलदार को सहायक अधिकारी नियुक्त किया था। लेकिन फिर भी कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं हुई।
मार्बल कारोबार पर पड़ेगा असर:
किशनगढ़ मार्बल मंडी के बीचों बीच श्री रघुनाथ मंदिर की 64 बीघा भूमि से यदि गोदाम, दुकानें आदि हटाए जाते हैं तो इसका असर मार्बल कारोबार पर पड़ेगा। मंडी के बंद होने से मार्बल उद्योग पहले ही मरा पड़ा है। जीएसटी में 28 प्रतिशत टैक्स लगाने के विरोध में गत 1 जुलाई से किशनगढ़ की मार्बल मंडी बंद पड़ी है।
ये है अतिक्रमणकारी:
किशनगढ़ के प्रशासन ने हाईकोर्ट में अतिक्रमणकारियों की जो सूची पेश की है उनमें जीबी स्टोनक्स, सिनोदिया मार्बल, बाबा रामदेव मार्बल, गोयल मार्बल, ए क्लास मार्बल, सिद्धेश्वरी मार्बल, सिद्धार्थ मार्बल, बृजमोहन मार्बल, चम्पालाल मार्बल, रमेशचन्द मार्बल, दिनेश मार्बल, रामचन्द्र मार्बल, श्रीओम मार्बल, एम.एम.एन्टरप्राइजेज, गणपति मार्बल, गोविन्द मुन्दड़ा एंड कम्पनी, छाजेड़ आर्म मार्बल, कटनी शिवा इण्डस्ट्रीज, रमेश छापरवाल मार्बल एण्ड सन्स, मीना मार्बल, श्रीनाथ चारभुजा मार्बल, अशोक मार्बल, वेद मार्बल, गुलाब मार्बल, अमित मार्बल, सारदा मार्बल, चैनराज मार्बल, विठ्ठल मार्बल, मार्बल कार्नर, अमृत भोजनालय, जैन भोजनालय, सिद्धी हैण्डीक्राफ्ट, महावीर स्टोनेक्स, कटनी मार्बल, हरीश मार्बल, के टी मार्बल, राघव मार्बल, गोयल स्टोनेक्स, वीर तेजा मार्बल, गुरूदेव मार्बल, शेखावत मार्बल, कोटा स्टोन, राजराजेश्वरी मार्बल, श्री शिवम मार्बल, अमीत मार्बल, महावीर मार्बल, अमित मार्बल, शम्भूनाथ धर्मा मार्बल, महादेव मार्बल, यश मार्बल, रोयला मार्बल्स टी एस, जयश्री मार्बल, खुशी मार्बल एण्ड ग्रेनाइट, कविता मार्बल, रेनू मार्बल, सीता मार्बल, एआरजी मार्बल, रॉयल इण्डिया मार्बल, माहेश्वरी स्टोन, महावीर इलेक्ट्रोनिक ट्रेलर धर्मकांटा, कृष्णा मार्बल, प्रिया मार्बल, अरूण मार्बल, यूएम मार्बल, पंचौली धर्मकांटा, मुदगल मोटर्स, अर्पित मार्बल, कमल इंजीनियरिंग आदि शामिल हैं। इस भूमि की कीमत कोई 100 करोड़ रुपए बताई जाती है।
एस.पी.मित्तल) (22-07-17)
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