राजस्थान में न्यायिक कर्मचारियों की हड़ताल से अनेकों को बेवजह जेल जाना पड़ रहा है। =============

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शेट्टी आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं करने के विरोध में राजस्थान के न्यायिक कर्मचारी 20 जुलाई से हड़ताल पर हैं। 22 जुलाई को लगातार तीसरा दिन रहा, जब प्रदेशभर की अधिकांश अदालतों के ताले भी नहीं खुले। चंूकि चपरासी से लेकर रीडर तक हड़ताल पर हैं, इसलिए न्यायिक कार्य पूरी तरह ठप पड़ा हुआ है। इसका खामियाजा उन मुल्जिमों को उठाना पड़ रहा है, जिनकी जमानत संबंधित अदालत में हो सकती है। सब जानते हैं कि पुलिस जिन आरोपियों को गिरफ्तार करती है उनमें से कुछ की जमानत थाने पर ही तथा कुछ की जमानत अदालत से हो जाती है। संगीन धाराओं वाले आरोपियों को ही जेल भेजा जाता है, लेकिन हड़ताल की वजह से अनेक आरोपी बेवजह जेल जा रहे हैं। चूंकि अदालतों में सुनवाई नहीं हो रही है, इसलिए गिरफ्तार आरोपियों को संबंधित अदालत की ओर से सीधे जेल भेजा जा रहा है। अदालतों में पक्षकारों को सामूहिक तौर पर सुनवाई की आगामी तारीख दी जा रही है। चंूकि अभी कोई समझौता वार्ता भी नहीं हो रही, इसलिए हड़ताल के लम्बे चलने की संभावना है। न्यायिक प्रशासन का कहना है कि कर्मचारियों की अधिकांश मांगे राज्य सरकार से संबंधित हैं।
23 जुलाई को होनी है परीक्षा:
प्रदेशभर में कोई 1500 लिपिक पदों के लिए 23 जुलाई को परीक्षा होनी है। हाईकोर्ट प्रशासन की देखरेख में होने वाली इस परीक्षा में लाखों अभ्यर्थी भाग ले रहे हैं। हड़ताल की वजह से लिपिक परीक्षा पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि इस परीक्षा से न्यायिक कर्मचारियों को पहले ही दूर रखा गया है।
एस.पी.मित्तल) (22-07-17)
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