यह तो राजस्थान सरकार पर हाईकोर्ट का तमाचा है। जोधपुर के सरकारी अस्पताल के आॅपरेशन थिएटर में डाॅक्टरों के झगड़ने का मामला। ==========

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जोधपुर के सरकारी उम्मेद अस्पताल के आॅपरेशन थिएटर में ही डाॅक्टरों के झगड़ने वाले मामले में जोधपुर स्थित हाईकोर्ट के न्यायाधीश गोपाल कृष्ण व्यास ने 30 अगस्त को कोर्ट के दो वरिष्ठ वकीलों से रिपोर्ट तलब की। वकीलों की रिपोर्ट के बाद न्यायाधीश व्यास ने जोधपुर के कलेक्टर रविन्द्र कुमार को बुलाकर निष्पक्ष जांच करने के निर्देश दिए और यह भी कहा कि जांच कमेटी में एक न्यायिक अधिकारी भी शामिल होगा। आमतौर पर हाईकोर्ट सरकार के अधिकारियों से ही किसी मामले की रिपोर्ट मांगता है। लेकिन शायद इन हाईकोर्ट को सरकारी तंत्र पर भरोसा नहीं रहा। जिस तरह से हाईकोर्ट ने रिपोर्ट तलब की, वह सरकारी तंत्र पर एक तमाचा है। सरकार की नीयत इस पूरे मामले में कैसी है, इसका पता प्रदेश के चिकित्सा मंत्री काली चरण सराफ और राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती सुमन शर्मा के बयानों से लगाया जा सकता है। जहां सराफ ने लीपा पोती वाला बयान दिया, वहीं सुमन शर्मा का कहना रहा कि उस चिकित्सा कर्मी के खिलाफ भी कार्यवाही की जाएगी, जिसने थिएटर में हुए झगड़े का वीडियो बनाया है। यानि सुमन शर्मा की नजर में डाॅक्टरों का अपराध कोई मायने नहीं रखता। लेकिन वीडियो बनाने वाला दोषी है। सुमन शर्मा को यह समझना चाहिए कि जब थिएटर में डाॅक्टर झगड़ रहे थे, तब एक प्रसूता आॅपरेशन टेबल पर बेहोश पड़ी थी। डाॅक्टरों के झगड़े की वजह से ही प्रसूता की नवजात बेटी की मौत हो गई। सरकार जहां बेटी बचाओ अभियान पर करोड़ों रुपया खर्च कर रही है वहीं बिगड़े सरकारी तंत्र की वजह से एक बेटी की मौत हो गई। अच्छा हो कि सुमन शर्मा महिला आयोग की अध्यक्ष की हैसियत से उन डाॅक्टरों के खिलाफ कार्यवाही करवाएं जो आॅपरेशन थिएटर में झगड़ा कर रहे थे। सरकार के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक बात नहीं हो सकती है कि सरकारी अस्पतालों के आॅपरेशन थिएटरों में डाॅक्टर झगड़ते हैं। सरकारी अस्पतालों के बिगड़े तंत्र की वजह से ही लोग प्राइवेट अस्पतालों में जाते हैं।
एस.पी.मित्तल) (30-08-17)
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