पत्थरबाजी के लिए ईद की नमाज का भी इस्तेमाल करने से बाज नहीं आए कश्मीर के अलगाववादी। आखिर कब सुधरेंगे हालात?

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2 सितंबर को देश भर में ईद-उल-अजहा का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। दरगाहों, ईदगाहों और अन्य नमाज स्थलों के बाहर खड़े हिन्दू भाईयों ने मुस्लिम भाईयों को गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी। लेकिन वहीं कश्मीर के श्रीनगर, अनंतनाग आदि शहरों में ईद की नमाज के बाद अलगाववादियों ने सुरक्षा बलों पर पत्थर फैंके। जो सुरक्षा बल ईद की नमाज को शांतिपूर्ण सम्पन्न करवाने के लिए तैनात थे, उन्हीं सुरक्षा बलों पर नमाज खत्म होते ही पत्थर बरसाए गए। सुरक्षा बलों को उम्मीद थी कि अलगाववादी कम से कम ईद जैसे पवित्र पर्व पर तो शांति बनाए रखेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आज की पत्थरबाजी से प्रतीत होता है कि अलगाववादी अशांति करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते। अलगाववादी यही चाहते थे कि जब पत्थर फैंके जाएं तो जवाब में सुरक्षा बल गोली चलाएं। यदि गोलीबारी में किसी पत्थरबाज की मौत हो जाती तो सुरक्षा बलों को बदनाम करने में कोई कमी नहीं रखी जाती। दुनिया में यही प्रचारित किया जाता कि ईद के दिन भी भारतीय सुरक्षा बलों ने कश्मीरियों पर गोली चलाई। लेकिन हमारे सुरक्षा बलों ने हमेशा की तरह धैर्य रखा और पत्थरों का मुकाबला करते रहे। जो लोग कश्मीर के अलगाववादियों के समर्थक है, वे बताएं कि ईद की नमाज का इस्तेमाल पत्थरबाजी के लिए क्यों किया गया? क्या कश्मीर के लोगों को ईद का पर्व सकून के साथ मनाने का हक नहीं है? वैसे भी आए दिन पाकिस्तान से प्रशिक्षित होकर आए आतंकी कश्मीर में हिंसक वारदातें कर रहे हैं। रोजाना हमारे जवान शहीद हो रहे हैं। सवाल उठता है कि आखिर कश्मीर के हालात कब सुधरेंगे? अब जब अलगाववादियों के नेता टेरर फंडिंग आदि मामलों में फंस गए हैं तब सरकार को चाहिए कि ऐसे नेताओं के खिलाफ सख्त कार्यवाही करें ताकि मस्जिदों में देशद्रोह के भाषण देकर कश्मीरियों को भड़काया नहीं जा सके।
एस.पी.मित्तल) (02-09-17)
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