तो अब मोबाइल फोन हो रहा है बच्चों के लिए आत्मघाती। अभी भी समय है अभिभावक जागरुक हो, नहीं तो ब्लू वेल से भी बड़ा हमला होगा।

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राजस्थान के जोधपुर के एक अस्पताल में पांच सितम्बर को एक स्कूली छात्रा को जख्मी हालत में भर्ती कराया गया। अभिभावकों का कहना है कि रात के समय जब छात्रा अपने मोबाइल पर ब्लू वेल गेम खेल रही थी, तभी उसने अपने हाथों की नसें काट ली। यह छात्रा अपनी जान देने को तैयार थी। असल में ब्लू वेल जैसे खतरनाक गेम में ही खुदकुशी के लिए बच्चों को उकसाया जाता है। मैंने पूर्व में भी अपने ब्लाॅगों में बच्चों के पास मोबाइल फोन होने पर सवाल उठाए हैं। मैं आज तक यह समझ नहीं पाया कि जो बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं उन्हें मोबाइल की क्या जरुरत है? आखिर स्कूल में ऐसा क्या जरूरी है जिसमें मोबाइल की आवश्यकता होती है। मैं कोई लड़के-लड़की में भेद नहीं कर रहा, लेकिन माता पिता बताए कि स्कूल में पढ़ने वाली बेटी को मोबाइल क्यों चाहिए? कुछ लोग कह सकते हैं कि अब इंटरनेट के माध्यम से भी पढ़ाई होने लगी है। जिसमें मोबाइल की जरुरत होती है। सब जानते हैं कि स्मार्ट क्लासों में कम्प्यूटर पर पढ़ाई कराई जाती है। अभिभावकों की यह जिम्मेदारी है कि वे बच्चे को मोबाइल और लेपटाॅप का उपयोग बंद कमरे में अकेले में नहीं करने दें। आने वाला समय और भी खतरनाक है। हो सकता है कि ब्लू वेल जैसे जानलेवा गेम बड़ी संख्या हमला करें। हालांकि सरकार ने ब्ल्यूवेल गेम पर प्रतिबंध लगा दिया है। लेकिन जब पूरा बाजार एक है तो ऐसे गेमों पर रोक लगाना कोई मायने नहीं रखता है। इसमें अभिभावकों की जागरुकता ही काम आएगी। अभिभावकों को अपने बच्चों की देखभाल भी अच्छी तरह करनी चाहिए। बच्चे कच्चे मस्तिष्क के होते हैं, इसलिए इंटरनेट का गेम उनके मस्तिष्क पर गहरा असर डालता है।
एस.पी.मित्तल) (06-09-17)
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