सीकर के बाद बीकानेर में भी किसानों का महापड़ाव शुरू। आखिर राजस्थान सरकार कब सुध लेगी।

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राजस्थान के सीकर में पिछले एक पखवाड़े से किसानों का महापड़ाव लगा हुआ है। 11 सितम्बर को बीकानेर जिले के हजारों किसान कलेक्ट्रेट पर आकर बैठ गए हैं। सीकर के किसानों की तरह बीकानेर के किसान भी कर्ज माफी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहे हैं। चूंकि बीकानेर में मूंगफली की पैदावार भी अधिक होती है, इसलिए यहां के किसान सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य पर मूंगफली खरीद की मांग भी कर रहे हैं।
इसी प्रकार चूरू, गंगानगर, जयपुर, नागौर आदि जिलों के किसान भी आंदोलन पर उतारू हैं। हो सकता है कि अगले कुछ दिनों में प्रदेशभर में किसान सड़कों पर आ जाएं। यह माना कि किसान आंदोलन के पीछे राजनीतिक दलों की भूमिका है। लेकिन सवाल उठता है कि वसुंधरा राजे के नेतृत्व में चल रही भाजपा की सरकार आंदोलनरत किसानों की सुध कब लेगी? दो दिन पहले सीकर के किसानों से संवाद करने के लिए दो मंत्रियों को भेजा गया था। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार ने सिर्फ खानापूर्ति की। सरकार को किसानों की समस्या के समाधान के लिए जो फैसले करने हैं, उस पर अभी तक भी गंभीरता के साथ विचार नहीं हुआ है। पता नहीं सरकार कितना इंतजार करेगी। यदि समय रहते राज्य सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई तो फिर हालात भी बिगड़ सकते हैं। सीकर के किसानों ने तो राष्ट्रीय राजमार्ग जाम करना शुरू कर दिया है।
मीणा और बेनीवाल ने भी समर्थन कियाः
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के घोर विरोधी माने जाने वाले विधायक किरोड़ी लाल मीणा और हनुमान बेनीवाल ने भी किसानों के अंदोलन का खुला समर्थन किया है। मीणा का दौसा और बेनीवाल का नागौर जिले में खासा प्रभाव है। सरकार को इन दोनों नेताओं के समर्थन को भी गंभीरता के साथ लेना चाहिए।
एस.पी.मित्तल) (11-09-17)
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