सीकर में गैंगरेप, जोधपुर में व्यापारी की हत्या जैसी घटनाएं सरकार की छवि खराब कर रही हैं। बड़े अफसर भी खुले आम झगड़ रहे हैं।

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19 सितम्बर को राजस्थान का जोधपुर शहर बंद रहा, तो सीकर में दिनभर हंगामा होता रहा। जोधपुर में एक डिपार्टमेंटल स्टोर के मालिक वासुदेव इसरानी की सरेआम हत्या और सीकर में एक प्राइवेट स्कूल के मालिक व शिक्षक द्वारा 12वीं की एक छात्रा के साथ गैंगरेप जैसी घटनाएं राजस्थान में सरकार की छवि खराब कर रही हैं। यह छवि तब खराब हो रही है, जब राजस्थान में भाजपा की सरकार को लोकसभा के दो और एक विधानसभा के उपचुनाव की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। जोधपुर में सरेआम व्यापारी की हत्या पर तो हाईकोर्ट के न्यायाधीश गोविंद माथुर और विनीत कुमार ने पुलिस और सरकार के कामकाज पर बेहद ही सख्त टिप्पणी की है। दोनों न्यायाधीशों ने व्यापारी की हत्या पर कहा कि यदि हम पुलिस कमिश्नर होते तो अब तक इस्तीफा दे देते। या तो पुलिस नाकारा है या फिर अपराधियों से मिली भगत है। पुलिस नाम की कोई चीज नहीं है। शहर भाग्य भरोसे चल रहा है। हाईकोर्ट की इस टिप्पणी से राजस्थान में पुलिस महकमे का अंदाजा लगाया जा सकता है। अब देखना है कि वसुंधरा राजे के नेतृत्व में चल रही सरकार हाईकोर्ट की टिप्पणी को कितनी गंभीरता के साथ लेती है।
सीकर के स्कूल में गैंगरेप:
गुरुग्राम के रेयान स्कूल में एक सात वर्षीय मासूम छात्र की हत्या का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ कि राजस्थान के सीकर जिले के अजीतगढ़ क्षेत्र में चलने वाले जनता बाल निकेतन स्कूल की 12वीं की छात्रा के साथ स्कूल के प्रबंधक जगदीश यादव, शिक्षक जगत सिंह गुर्जर के द्वारा गैंगरेप करने का गंभीर मामला उजागर हो गया। अब 18 वर्षीया पीड़िता जयपुर के एसएमएस अस्पताल में जीवन के लिए संघर्ष कर रही है। शर्मनाक बात तो यह है कि बार-बार बलात्कार करने के बाद छात्रा का गर्भपात शाहपुरा राजनीश अस्पताल में करवाया गया और तभी छात्रा की तबीयत बिगड़ गई। हालांकि पुलिस ने दोनों बलात्कारियों को हिरासत में लेकर अस्पताल के डाॅक्टर रजनीश और डाॅक्टर कानन शर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। लेकिन आखिर सवाल उठता है कि हमारी बेटियां स्कूलों में सुरक्षित क्यों नहीं है? असल में अपराधी पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को भी शिक्षा के मंदिर चलाने के लाइसेंस दे दिए जाते हैं। अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस स्कूल का मालिक ही छात्रा से बलात्कार कर रहा है तो उस स्कूल के हालात कैसे होंगे? यूं दिखाने को राजस्थान में सरकार ने महिला आयोग बना रखा है, लेकिन जाहिर है कि इस आयोग की कोई प्रभावी भूमिका नहीं है। आपराधिक तत्वों में कानून का भय नहीं है।
झगड़ रहे हैं अफसर:
एक ओर जहां हाईकोर्ट सरकार के काम काज पर प्रतिकूल टिप्पणी कर रहा है, तो वहीं सरकार में बैठे आईएएस स्तर के अधिकारी आपस में झगड़ रहे हैं। आयुर्वेद विभाग के शासन सचिव आर वेकेटश्वरन अपने अधिनस्थ मेडिशनल प्लांटस बोर्ड के सदस्य सचिव भरत तेमनी को सस्पेंड करने की धमकी देते हैं। तो तेमनी का कहना है कि वेकेटश्वरन मेरे बाॅस नहीं हैं। असल में दो अफसरों के झगड़े में भी सरकार की लापरवाही ही है। तेमनी 1987 बैच के आईएसएफ अधिकारी हैं। जबकि उन्हें 1990 बैच के आईएएस वंेकटेश्वरन के अधीन नियुक्त किया गया। यदि सरकार में बैठे लोग थोड़े भी समझदार होते तो एक सीनियर को जूनियर के नीचे नियुक्ति नहीं देते।
उपचुनाव की है चुनौतियां:
हालांकि राजस्थान में अगले वर्ष नवम्बर में विधानसभा के चुनाव होने हैं। लेकिन इससे पहले भाजपा सरकार को इसी वर्ष होने वाले दो लोकसभा (अजमेर और अलवर) और एक विधानसभा का (भीलवाड़ा के माडलगढ़) के उपचुनाव का सामना करना पड़ेगा। सरकार में बैठे लोग माने या नहीं, लेकिन ये तीनों उपचुनाव चुनौती भरे हैं। ऐसे में जहां सरकार की उपलब्धियां सामने आनी चाहिए वहां सरेआम हत्या, गैंगरेप, जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं।
एस.पी.मित्तल) (19-09-17)
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