तो यशवंत सिन्हा मोदी मंत्रिमंडल में शामिल अपने बेटे जयंत सिन्हा को क्यों नहीं समझाते? अखबार में लेख लिखने से कुछ नहीं होगा। =====

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27 सितम्बर को इंडियन एक्सप्रेस अखबार में भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा का एक लेख प्रकाशित हुआ है। इस लेख में जहां नोटबंदी की आलोचना की गई है, वहीं जीएसटी लागू करने को अर्थव्यवस्था में गिरावट का कारण बताया गया है। सब जानते हैं कि यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल हैं। यदि यशवंत सिन्हा को आम व्यक्ति की परेशानियों की इतनी ही चिंता है तो उन्हें सबसे पहले अपने बेटे से मंत्री पद से इस्तीफा दिलवाना चाहिए। यदि जयंत सिन्हा नोटबंदी और जीएसटी के मुद्दे पर मंत्रिमंडल से इस्तीफा देते हैं तो फिर नरेन्द्र मोदी पर भी दबाव बनेगा। यशवंत सिन्हा के किसी अखबार में लेख लिखने के बाद टीवी चैनलों पर कितनी भी बहस हो जाए उसका कोई असर नहीं होगा। यशवंत सिन्हा माने या नहीं, लेकिन आज उनका बेटा जयंत ही उनकी बात से सहमत नहीं है, तो फिर लेख लिखने का क्या फायदा? ऐसा नहीं हो सकता कि जयंत सिन्हा मंत्री की हैसियत से सरकार की सुविधाओं का उपभोग भी करते रहे और यशवंत सिन्हा अपने बेटे की सरकार की आलोचना करते रहे। यशवंत सिन्हा आज भी भाजपा में बने हुए हैं। सवाल यह उठता है कि जब उन्हें सरकार की नीतियों पर ऐतराज है तो फिर भाजपा से इस्तीफा क्यों नहीं देते? यह माना कि नोटबंदी और जीएसटी की वजह से व्यापारी वर्ग परेशान है, बाजार में भीषण मंदी का दौर है। यशवंत सिन्हा के मन में परेशान लोगों की इतनी ही हमदर्दी है तो उन्हें सबसे पहले अपने बेटे से इस्तीफा दिलवाना चाहिए।
एस.पी.मित्तल) (27-09-17)
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