जैन ही नहीं सम्पूर्ण समाज के लिए जैन संतों, आचार्यों का आचारण बेहद महत्वपूर्ण। जैन आचार्य शांति सागर पर लगे आरोपों के संदर्भ में। =========

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जैन ही नहीं सम्पूर्ण समाज के लिए जैन संतों, आचार्यों का आचारण बेहद महत्वपूर्ण। जैन आचार्य शांति सागर पर लगे आरोपों के संदर्भ में।
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19 साल की एक लड़की द्वारा 50 साल के दिगम्बर जैन मुनि आचार्य शांति सागर पर दुष्कर्म करने का जो आरोप लगाया गया है उस संदर्भ में सूरत के महावीर दिगम्बर जैन मंदिर ट्रस्ट ने कहा है कि लड़की का पिता करोड़ों रुपए की मांग कर रहा था, लेकिन जब राशि नहीं मिली तो दुष्कर्म का आरोप लगवा दिया। ट्रस्ट के इस आरोप में कितना दम है यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा, लेकिन जेल जाने से पहले आचार्य शांति सागर ने स्वयं दुष्कर्म के अपराध को स्वीकार कर लिया है। यह बात अलग है कि आचार्य ने आपसी सहमति की बात कही है। सवाल आरोप-प्रत्यारोपों का नहीं है। सवाल दिगम्बर जैन समाज के आचार्य का है। हम सब देखते हैं कि दिगम्बर जैन समाज के मुनियों और आचार्यों की सम्पूर्ण समाज में एक अलग पहचान होती है। चाहे कोई किसी भी समाज का श्रद्धालु हो, लेकिन जब दिगम्बर समाज के आचार्य अथवा मुनि को देखता है तो उसका सिर श्रद्धा से झुक जाता है। इसका मुख्य करण यही है कि सर्दी-गर्मी और बरसात के मौसम में तो जैन मुनि दिगम्बर अवस्था में रहते ही हैं, लेकिन हजारों महिला श्रद्धालुओं के सामने भी उनका मुनित्व प्रभावित नहीं होता। कोई माने या नहीं, लेकिन दिगम्बर जैन समाज के मुनियों का यह तप वाकई खास महत्व रखता है। इसलिए दिगम्बर जैन समाज के मुनियों और आचार्यों को अलग रखा जाता है। एक तरह से उनकी भगवान के तौर पर पूजा अर्चना होती है। जो मुनि अपने शरीर पर एक धागा भी नहीं रखता उसकी जुबान पर करोड़ों रुपए समाज के लिए एकत्रित हो जाते हैं। अन्य समाजों में दिगम्बर जैन समाज के संतों के दिगम्बर बने रहने को लेकर कई बार आवाज भी उठती है। लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ जब दिगम्बर जैन मुनि के आचरण को लेकर कोई शिकायत आई हो। इसलिए जब सूरत में आचार्य शांति सागर के कृत्यों की जानकारी सामने आई तो सम्पूर्ण समाज में खलबली मच गई। दिगम्बर जैन समाज का कोई श्रद्धालु यह कल्पना भी नहीं कर सकता कि उनका कोई आचार्य 19 साल की लड़की से दुष्कर्म के मामले में जेल चला जाए। उस क्षण की कल्पना की जब एक दिगम्बर आचार्य को कपड़े पहना कर पुलिस ने गिरफ्तार किया। यह माना कि किसी एक व्यक्ति की वजह से दिगम्बर जैन समाज के लोगों की आस्था और श्रद्धा पर कोई असर नहीं पड़ेगा। लेकिन मैं इस पूरे प्रकरण को सम्पूर्ण समाज का मानता हंू। हमारी सनातन संस्कृति में साधु संतों का खास स्थान रहा है। माना तो यही जाता है कि सनातन संस्कृति में धर्माचार्यों के अनुकुल ही शासन होता है। शांति सागर के प्रकरण में जैन मुनि तरुण सागर महाराज ने बेहद तीखी प्रतिक्रिया दी है। अच्छा हो कि इस मामले को जल्द से जल्द समाप्त किया जाए। यह मामला किसी महिला-पुरुष से जुड़ा हुआ नहीं है। बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है। जब दिगम्बर जैन मुनि और आचार्य बहुत सख्त नियमों से रहने के आदि है, तब भविष्य में ऐसी घटना की पुनार्वती न हो इसके लिए भी कदम उठाए जाए।
एस.पी.मित्तल) (17-10-17)
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